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________________ पृष्ठांक सूत्रांक १९५-१९६ १९७ १९८ २०१ ४४-४५ Pop KW २०६ २०७ २०८ २०९ ४७-४८ २१० २११-२१४ २१५-२२६ २१५ ४९-५० २१६ धर्मकथानुयोग-विषय-सूची ३२ शुक का शैलकपुर में आगमन और सेलक की अभिनिष्क्रमण-अभिलाषा ३३ शैलक पुत्र मंडुक का राज्याभिषेक ३४ शैलक की प्रव्रज्या ३५ शुक का पुंडरीक पर्वत पर निर्वाण ३६ शैलक का रोग से आतंकित होना ३७ मंडुक ने शैलक की चिकित्सा करवाई ३८ शैलक का प्रमत्त विहार ३९ पंथक अणगार को सेवा के लिए रखकर शैलक शिष्यों का विहार करना ४० मद्य से प्रमत्त शैलक का पंथक से चातुर्मासिक क्षमापना ४१ शैलक का कुपित होना और पंथक की क्षमा याचना ४२ शैलक का पुनः अब्भ्युद्यत विहार ४३ शैलक कथा के उपसंहार से उपदेश ४४ शैलक के समीप शैलक शिष्यों का पुनः आगमन ४५ पुंडरीक पर्वत पर शैलकादि सबका निर्वाण ४६ वृत्तिकार उद्धृत निगमन गाथा १२ रहनेमी श्रमण का राजमती द्वारा उद्धार १३ भ. पार्श्वनाथ के तीर्थ में अंगई सुप्रतिष्ठ और पूर्णभद्रादि श्रमण १ दस अध्ययनों के नाम २ भ. वर्धमान के समवसरण में ज्योतिष्केन्द्र चन्द्र ने नृत्य किया ३ ज्योतिष्केन्द्र चन्द्र के पूर्वभव वर्णन में अंगई की कथा ४ चन्द्र की स्थिति और उसकी महाविदेह में सिद्धी ५ भ. वर्धमान के समवसरण में सूर्य ने नृत्य किया ६ सूर्य का पूर्वभव ७ भ. वर्धमान की परिषद् में पूर्णभद्र देव ने नृत्य किया ८ पूर्णभद्र देव का पूर्वभव भ. वर्धमान के समवसरण में माणिभद्र देव ने नृत्य किया १० माणिभद्र देव का पूर्वभव ११ दत्तआदि अन्य अणगार १४ जितशत्रु और सुबुद्धि का कथानक १ चम्पा नगरी में जितशत्रु राजा और सुबुद्धि अमात्या २ परिखा के उदक का वर्णक ३ जितशत्रु ने पान-भोजन की प्रशंसा की ४ सुबुद्धि ने पुद्गल का शुभाशुभ परिणमन कहा ५ जितशत्रु ने परिखोदक की निन्दा की ६ सुबुद्धि ने पुनः पुद्गल स्वभाव का वर्णन किया ७ जितशत्रु ने विरोध किया ८ सुबुद्धि ने जल का शोधन किया ९ सुबुद्धि ने जल प्रेषित किया जितशत्रु ने उदगरत्न की प्रशंसा की ११ जितशत्रु ने पानी लाने वाले से पूछा २१७ २१८ २१९ २२० २२१ ५१-५५ २२२-२२३ २२४ २२५ २२६ २२७-२४६ २२७ २२८ २२९ २३० २३१ २३२ २३३ الله الله ५२-५३ २३५ الله २३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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