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धर्मकथानुयोग-विषय-सूची
सूत्रांक २८ भ. अरिष्टनेमि ने गजसुकुमार की सिद्धगति कही.
१५५ २९ उपसर्ग श्रवण से श्रीकृष्ण का क्रुद्ध होना.
१५६ उपसर्ग करने वाले ने सहायता ही की है यह जानकर क्रोध शान्त हुआ
१५७ ३१ उपसर्ग करने वाले को कृष्ण ने जाना. ३२ सोमिल की अकाल मृत्यु.
१५९ भ. अरिष्टनेमि तीर्थ में सुमुख आदि कुमार श्रमण
१६०-१६१ जालि आदि श्रमण भ. अरिष्टनेमि के तीर्थ में थावच्चापुत्र और अन्य श्रमण
१६३-२१० १ द्वारिका में श्रीकृष्ण वासुदेव २ गाथापत्नी थावच्चा और उसका पुत्र थावच्चापुत्र ३ भ. अरिष्टनेमि का समवसरण ४ श्रीकृष्ण की पर्युपासना ५ थावच्चापुत्र का प्रव्रज्या-संकल्प श्रीकृष्ण और थावच्चापुत्र का परिसंवाद
१६८ ७ श्रीकृष्ण की योगक्षेम-घोषणा
थावच्चापुत्र का अभिनिष्क्रमण शिष्यरूपभिक्षा का दान थावच्चापुत्र का प्रव्रज्या-ग्रहण
१७२ ११ थावच्चापुत्र की अणगार-चर्या १२ थावच्चापुत्र का जनपद विहार और सेलगपुर में समवसरण १३ सेलगराजा का आगमन
१७५ १४ सेलग का गृहस्थ धर्म स्वीकार करना
१७६ १५ सेलग की श्रमणोपासक चर्या १६ सौगंधिका में सुदर्शन श्रेष्ठी
१७८ १७ सौगंधिका में शुक परिव्राजक का आगमन
१७९ १८ शुक परिव्राजक ने शौचमूलक धर्म का उपदेश दिया १९ सुदर्शन का शौचमूलक धर्म स्वीकार करना
१८१ २० शौचमूलक धर्म के सम्बन्ध में थावच्चापुत्र का सुदर्शन से संवाद और चातुर्यामिक धर्म का उपदेश १८२-१८३ २१ सुदर्शन का विनयमूल धर्म स्वीकार करना
१८४ २२ शुक ने सुदर्शन को प्रतिबोध दिया
१८५-१८६ २३ शुक का थावच्चापुत्र के साथ संवाद
१८७ २४ यात्रादि पदों की विचारणा २५ सरिसवों की भक्ष्याभक्ष्य विचारणा
१८८ २६ कुलथों की भक्ष्याभक्ष्य विचारणा
१८९ २७ माषों की भक्ष्याभक्ष्य विचारणा २८ एक अक्षयादि पदविचारणा २९ शुक का हजार परिवाजकों के साथ प्रवजित होना ३० शुक का जनपद विहार ३१ थावच्चापुत्र का परिनिर्वाण १. सूत्रांक नहीं है।
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