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________________ पृष्ठांक सूत्रांक १०२ १०४ १०५-१०६ १०७-११२ १०७ १०८-१०९ ११० १११ ११२ ११३-१५९ ११३-११४ ११५-११८ ११९ २३-३३ २३ २३-२४ १२० २४ १२१ १२२-१२४ धर्मकथानुयोग-विषय-सूची ४ भ. अरिष्टनेमि का धर्मोपदेश और गौतम की प्रव्रज्या ५ शत्रुञ्जय पर्वत पर गौतम की सिद्धी ६ समुद्रादि ७ अक्षोभादि कुमार अणगार ८ संग्रहणी गाथा म. अरिष्टनेमि के तीर्थ में अणीयस कुमार और अन्य अणगार १ अणीयसादि अणगारों के नाम २ भद्दिलपुर में नाग गाथापति का पुत्र “अणीयस" ३ भ. अरिष्टनेमि के समीप अणीयस की प्रव्रज्या और शत्रुञ्जय पर्वत पर सिद्धी ४ अनन्तसेन आदि कुमार अणगार ५ सारण कुमार श्रमण भ. अरिष्टनेमि के तीर्थ में गजसुकुमार आदि अणगार १ छह अणगारों का तप संकल्प भ. अरिष्टनेमि की आज्ञा २ छहों का क्रमशः देवकी के घर में प्रवेश ३ देवकी को एक संघाटक के ही पुनरागमन की शंका ४ देवकी का शंका-समाधान ५ देवकी के मन में अतिमुक्त कुमार के वचनों में शंका ६ भ. अरिष्टनेमि ने सुलसा का चरित्र कहकर शंका का समाधान किया ७ छ सहोदर अणगार देवकी के ही पुत्र हैं यह जानकर देवकी हर्षित हुई ८ देवकी के मन में पुत्र के लालन-पालन की अभिलाषा और चिन्ता ९ श्रीकृष्ण ने चिन्ता का कारण पूछा १० देवकी ने चिन्ता का कारण कहा ११ श्रीकृष्ण द्वारा देवाराधन और देव ने लघुभ्राता होने के लिये कहा १२ श्रीकृष्ण ने देवकी को अश्वासन दिया गजसुकुमार का जन्म गजसुकुमार की भार्या करने के लिये सोमिल ब्राह्मण की लड़की को कुमारिकाओं के अन्त:पुर में रखा भ. अरिष्टनेमि ने धर्मदेशना दी. १६ गजसुकुमार का प्रव्रज्या संकल्प. गजसुकुमार का माता-पिता को निवेदन. १८ देवकी की शोकाकुल दशा. १९ देवकी और गजसुकुमार का परिसंवाद २० गजसुकुमार के प्रति श्रीकृष्ण का राज्य ग्रहण प्रस्ताव. गजसुकुमार का एक दिवस का राज्य २२ गजसुकुमार की प्रव्रज्या २३ गजसुकुमार का महाप्रतिमा स्वीकार करना. २४ सोमिलकृत उपसर्ग. २५ गजसुकुमार की सिद्धगति. २६ श्रीकृष्ण ने वृद्ध की सहायता की. २७ श्रीकृष्ण की गजसुकुमार-दर्शनाभिलाषा. १२५ १२६ २५ २५ १२७ १२८ २६ १२९-१३१ २६ १३ १३४-१३६ १३७ १३८ १३९-१४० १४१ १४२-१४६ १४७ २७ २७-२८ २८ २८-२९ १४८ १४९ १५१ १५२ ० ०. mmmmmmmmmm orror १५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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