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________________ सूत्रांक पृष्ठांक ४२७ ४२८ ४२९ ४३१ ४३२ ४३४ pm MY MY MY MY M Vorro900 ४३५ ४३६ ९६-९७ ९७ ९७ ४३७ ४३८ ९८-९९ १०० ४४३ १०० १०१ ४४५ धर्मकथानुयोग-विषय-सूची ११ जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में (इसी अवसर्पिणी में हुए) तीर्थंकरों के नाम १२ (इस अवसर्पिणी में हुए तीर्थंकरों के) पिता १३ (इस अवसर्पिणी में हुए तीर्थंकरों की) मातायें १४ (इस अवसर्पिणी में हुए तीर्थंकरों के) पूर्वभव (के नाम) १५ पूर्वभव का श्रुतज्ञान १६ पूर्वभव की पदवियां १७ तीर्थकरों के वर्ण १८ तीर्थंकरों के (देह) की ऊंचाई १९ (तीर्थंकरों का) गृहस्थावास (काल) २० (तीर्थंकरों का) कुमारकाल २१ (तीर्थकरों का) गृहवास २२ (तीर्थंकरों का) सर्वायु २३ भ. चन्द्रप्रभ का छद्मस्थ काल २४ कल्याणक २५ शिविका और शिवि का वाहक दीक्षानगर २७ दीक्षाकाल में एक (वस्त्र) दृष्य २८ सह दीक्षितों की संख्या २९ दीक्षा के पूर्व किया हुआ तप ३० सर्व प्रथम भिक्षा देने वाले ३१ प्रथम भिक्षा का काल ३२ चैत्यवृक्ष ३३ प्रथम शिष्य ३४ प्रथम शिष्या ३५ केवलज्ञान-दर्शन की उत्पत्ति का काल ३६ तीर्थंकरों के अतिशय ३७ चातुर्यामधर्म (चार महाव्रत) के उपदेशक ३८ कृष्णादि भावी तीर्थकर चातुर्यामधर्म के उपदेशक होंगे ३९ आगामी उत्सर्पिणी के तीर्थंकरों के नाम ४० पूर्व भव के नाम ४१ तीर्थंकरों के माता-पिता आदि ४२ तीर्थकरों के उपदेश की दुर्गमता एवं सुगमता ४३ श्रमण-सम्पदा ४४ श्रमणी-सम्पदा ४५ श्राविका-सम्पदा ४६ लब्धि सम्पन्न-सम्पदा ४७ वैक्रिय लब्धि-सम्पन्न-श्रमण-सम्पदा ४८ चौदह पूर्वधारी श्रमण-सम्पदा ४९ अवधिज्ञानी श्रमण-सम्पदा मनःपर्यवज्ञानी-सम्पदा ५१ तीर्थंकरों की जिन-सम्पदा ४४८ ४४९ ४५१ ४५२-४५३ ४५४ १०१ १०१ १०१ १०१-१०२ १०२ १०२ १०२-१०३ १०३ १०४ १०४ १०४ १०४ १०४ १०५ १०५ ४५५ ४५७ ४५८ ४५९ ४६० ४६१ ४६२ ४६३ ४६४ ₹ururuPror ururur Mm3ur 90 ४६५ १०६-१०७ १०७ ४६७ ४६८ १०८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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