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________________ (४) सूत्रांक पृष्ठांक २७३ २७४ २७५ २७६ २७७-२७९ ६-६७ २८० २८१ २८२ २८३ २८४ २८५ ६८ ६८-६९ ६९-७० २८६ २८७-२९१ २९२ २९३-२२४ २९५ ७०-७१ م له له धर्मकथानुयोग-विषय-सूची ६ जन्मकल्याणक काल ७ जन्म-काल में देवकृत उद्योत ८ देवकृत अमृतादि की वर्षा ९ देवकृत तीर्थकर जन्माभिषेक १० सिद्धार्थकृत जन्मोत्सव ११ वर्द्धमान नामकरण १२ बालसंवर्धन १३ यौवन १४ तीन नाम १५ माता-पिता की देवगति १६ भ. वर्धमान के स्वजन १७ अभिनिष्क्रमण का अभिप्राय और संवत्सरदान १८ देवेन्द्र शऋकृत देवछंदक मज्जनादि और शिविका की रचन १९ अभिनिष्क्रमण २० पंचमुष्टिलोच करना २१ सामायक चारित्र ग्रहण करना २२ मनःपर्यवज्ञान की उत्पत्ति २३ तेरह मास के अनन्तर अचेलकत्व २४ अणगार स्वरूप की प्रशंसा २५ प्रतिबंध का अभाव २६ भ. महावीर का अभिग्रह २७ भ. महावीर का विहार २८ परीषह-विजय २९ दस स्वप्नों का फल ३० स्वप्नफल भगवान का दीर्घ तप भगवान् की चर्या ३२ भगवान् की शय्या ३३ भगवान् के परीषह-उपसर्ग ३४ भगवान् का चिकित्सा-निषेध ३५ भगवान् की आहार चर्या ३६ केवलज्ञान-दर्शन की उत्पत्ति ३७ देवताओं का आगमन ३९ भवनवासी देवों का आगमन ३९ वाणव्यन्तर देवों का आगमन ज्योतिष्क देवों का आगमन ४१ वैमानिक देवों का आगमन ४२ अप्सराओं का आगमन ४३ भ. महावीर का वर्णक ८४ भ. महावीर के अन्तेवासी अनेक श्रमण-भगवन्त २९७ २९८ २९९ الل ه الله الله الله ३०२ ३०३-३०४ ७३-७४ ७४-७५ ७५-७७ ७५-७६ ३०६-३२६ ३०६-३१३ ३१४-३१८ ३१९-३२१ ३२२ ३२३-३२६ ३२७ ३२८ ३२९-३३० ७६-७७ ७७ ७७ ७८ ७८ ७८-७९ ४० ३३२ ३३३-३३४ ७९-८० ८० ८०-८२ ८२-८४ ३४०-३५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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