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________________ जमालिनिष्काणर्य २२ तर तस जमालिस्म पत्तियकुमारस्स पिटुओ एमा वतरुणी सिंगारागारचासा संगय-गय- हसिय-भणिय बेट्टिय-विलास सललिय संला निउणजुत्तोव यार कुसला सुंदरथण-जघण-वयण-कर-चरण-नयण- लावण्ण-रूव-जोन्वण-विलासकलिया सरदम्भ-हिम- रयय-कुमुदकुठेपणा सोरेंटमल्लदा घवनं आवत्तं महाय सलीलं ओधरेमाणी-ओधरेमाणी विद्वति । तए णं तस्स जमालिस्त [खत्तिकुमारस्स] उमओ पासि दुर्व वरतरणीओ सिंगारागारचारवेसाओ संगय-गय- हसिय-भणिय- बेट्ठियविलास - सललिय--संलाव - निउणजुत्तोवयारकुसलाओ सुंदरथण- जघण-वयण-कर-चरण- नयण- लावण्ण-रूत्र जोव्वण--विलास- कलियाओ गाणामणि कणम रयण-विमल महरिहणिविडिओ चलाओ, संक-कुंद-डगर-अय-महि-कंग समिकासाओ धनाओ चामराज गहाव सलील बीयमाणमी-बीयमाणीओ चिति । तए णं तस्स जमानित्स पतिपकुमारसा उत्तरपुरत्यिमे एवा aerent fieारागारवाला संग-गय-- हसिय-मणिय वेट्ठिय-विलास-लय-ताय-उतार कुसला सुंदरवणजघण-वण-कर-चरण-नयण- लावण्ण-रूव जोव्वण- विलास कलिया सेतं रययामयं विमलसलिलपुष्णं मत्तगयमहामु हाकितिसमाणं भिगारं गहाय चिट्ठइ । - तणं तस जमालिस प्रतियकुमारस्स दाहिणपुरविमेणं एगा करसरणी सिगारागारचारयेता संगय-गय-हरिय-मणिय-वेद्रिय-विलाससलिलाव - निउ जुत्तोवयारकुसला सुदरथण-जघण-त्रयण-कर-चरण-नयण-लावरण-रूव-जोन्वण-विलास कलिया चित्तकणगदंड तालवेंट गहाय चिट्ठइ । ३८७ तणं तस्य जमालिस खयिकुमारस्स पिया को बियपुरिसे सहावे सहावेत्ता एवं क्यासी विव्यामेट भो देशप्पिया ! सरिसवं सरिलयं सरि सरि-व-ज-गोवे एगाभरणरण महिपनिज्जीवं कोड बिलरतरुण सहर सहावेह तए णं ते कोड बियपुरिसा- जाव पडिसु-णेत्ता खिप्पामेव सरिसयं सरितयं सरिव्वयं सरिसलावण्ण-रूव-जोग्वण- गुणोयवेयं एगाभरणसण- गहियनिज्जोयं कोड बियवरतरुणसहस्सं सद्दावेति । " तएषं से कोई पितरुणपुरिसा जमालिरस पत्तियकुमारस्त पिउणा को वियपुरिसेहि सहाविया समाणा हा व्हाया कपलि कम्मा कोय-मंगल-पायच्छिता एक भरणराण- महिपनिज्जोया गेय जमानिस खत्तियकुमारस्त पिया ते उपागच्छति, उदाण्डित्ता करयपरिगहियं दसनहं सिरसावतं मत्यए अंजलि कट्टु जए विजएवं बद्धावेति बढावेता एवं क्यासी-संदि संतुणं देवापिया | अम्हेहि करणिज्जं । एणं से अनालिकुमार पिया तं को वितरणसहस्से एवं ववासीरने देशविवा। महाया कपबलिकम्मा कवको मंगल यति एवामरणवसण-महिपनिज्जोया जमालिस वत्तियकुमारस्स सीयं परिह । तए णं ते कोडुंबियवरतरुणपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं वृत्ता समाणा जाव पडिसुणेत्ता व्हाया जाव-एगाभरणवसण- गहिनिज्जोगा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सीयं परिवहति । २४ त णं तस्स जमालिस्स खतियकुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणि सोयं दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अट्ठट्ठमंगलगा पुरओ अहाणुपुवीए संपट्टिया, तं जहा -- सोत्थिय सिरिवच्छ-णंदियावत वद्धमाणग-भद्दा सण- कलस-मच्छ दप्पणा । तदणंतरं च णं पुण्णकलसभिंगारं दिव्याय छत्तपडागा सचामरा दंसण-र-आलोय-दरिमणिज्जा, वाउय विजयश्यतीय ऊसिया महिती पुरनो अहाणुपुवीए संपट्टिया | Jain Education International तं परं सहासनं तदनंतरच वेलव-भत-विमल पवकोरंडमल्लवा मोक्सोभयं चंदमंडलमिर्च समुखियं विमलं वरमणिरमणपादपीठं सपापाजवसमा बहुककर कम्मकर-परिस-पात-परिखिलं पुरनो अहाणुपुब्बीए संपट्टि । तदनंतरं च णं बहवे लट्ठिग्गाहा कुंतग्गाहा चामरग्गाहा पासग्गाहा चावग्गाहा पोत्थयग्गाहा फलगग्गाहा पीढग्गाहा वीणग्गाहा कूवग्याहा हप्परगाहा पुरओ अहाणपुवीए संपट्टिया । तदनंतरं च णं बहवे दंडिणो मुंडिणो सिहंडिणो जडिणो पिंछिणो हासकरा उमरकरा दवकरा चाडुकरा कंदप्पिया कोक्कुइया किडुकरा य वायंता य गायंता य णच्वंता य हसंता य भासता य सासंता य सावेंता य रक्खता य आलोयं च करेमाणा जय जयसद्दं पउंजमाणा पुरओ अहाणुपुवीए संपट्टिया । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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