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धम्मकहाणुओगे चउत्थो खंधी
तए णं से कलायरिए तं दढपइन्नं दारगं लेहाइयाओ गणिय- पहाणाओ सउणस्य- पज्जवसाणाओ बावर्त्तार कलाओ सुत्तओ य अत्थओ य गंथओ य करणओ य पसिक्खावेहिइ य सेहावेहिइ य । तं जहा --
हंगणी वारंवं पोक्खर गयं सम-ताल, सूर्य, अगवायें पास, अट्ठावयं पोरेकचं गमयं अग्रविहि पाण-विहि बत्य-विहि विशेषणविहि-विहि अन्नं, पहेलियं, मानहि [निदाइ] मा गइयं सिलोग हिरा सुण-गुलि, ष्ण-जुत आभरण-विहि तरुणी-पडिरूम्मं इस्थि-सवणं, पुरिस-सवणं, लखन-लक्खणं, योग-लवर्ण, कुकुडवणं छत्त-सवर्ण दण्ड- लक्खणं, असि-लक्खणं, मणि-लवणं, कार्याणि सवणं, बरव-विरजं नगर-माणं, बन्धावारं, चारं परिवार व पविगर्ह जुनि जुदा --- सवा-जु ईसाचं, रुप्यवार्थ, धव्यं, हिरण्या-पा, सुवरण-पागं सुखे खे नालिया-खे पत्तो की निजी सउण रुयमिति ।
तणं से कलारिए तं दढपन्नं दारगं लेहाइयाओ गणिय-प्पहाणाओ सउणरुय पज्जवसाणाओ बावर्त्तार कलाओ सुत्तओ य अत्थओ य गंथओ य करणओ य सिक्खावेत्ता, सेहावेत्ता अम्मा-पिऊणं उवणेहि ।
तए णं तस्स दढपन्नस्स दारगस्स अम्मा- पियरो तं कलायरियं विजलेणं असण-पाण- खाइम - साइमेणं वत्य-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारिसंति, संमाणिरसंति जीवारिहं पोइवाणं दलइस्संति, पडिसिन्हति ॥
तएषं से पदार उन्मुक्कामाने विप्रयपरिणय- मेते, जोवण-गमनुष्यते, बाबर कला-पण्डिए अद्वारस- बिदेसि पगारभासा-विसार, नवङ्ग-मुत्त-पडियोहए, गीय-रई, गंधव्य-नट्ट-कुसले, सिनारागार चारावेसे संगय-गय- सिय-गिय-चिट्ठिय-विलाससंवाद-नि-तोववार-कुरुले, जोही-जोहो रह-मोही, बाहुजीही, बाहु-यमदी, अलं-भोग-समस्ये, साहसिए, वाल-वारी यावि भविस्सs |
तए णं तं दढपन्नं दारगं अम्मा-पिथरो उम्मुक्क-बालभावं जाव-वियाल चारि च वियाणित्ता, विउलेहि अन्न-भोगेहि य पाण- भोगेहि य लेग बीहिय वत्व-भोगेहि समभोगेहि व उपनि मतहिति । तए से बढदार तेहि विलेहि महिनाक सोहि मो सज्जिहि नो गहिरो डिनो असोज
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से जहा - नाम पमुप्पले इ वा पउमे इ वा जाव-सय-सहस्य - पत्ते इ वा पंके जाए, जले संबुड्ढे नोवलिप्पर पंकरएणं, नोवलिप्पइ जल-रएणं, एवामेव दढपन्ने वि दारए कामेह जाए, भोगेहि संवड्दिए, नोवलिप्पिहिइ कामरएणं० मित्त-नाइ नियग-सयण-संबंधिपरिजणेणं । से णं तहा-ख्वाणं येराणं अंतिए केवलं बोहि बुज्झिहिइ, बुज्झित्ता मुंडे भवित्ता, अगाराओ अनगारियं पव्वइस्सइ । से णं अणगारे भविस्सइ, इरियासमिए-जाव- सुहुय-हुयासणे इव तेयसा जलते । तस्य णं भगय अनुत्तरेणं नाणं एवं दंसणं, चरिलेणं, आलएणं, विहारेणं अत्तरेणं सध्य-संब-नामगे अप्पा भावेमाणस्स, अनंते केवल-वर-नाण-दंसणे समुप्पज्जिहिइ ।
तए णं से अगवं अरहा, जिणे, केवली भविस्सइ, सदेव मणुयासुरस्स लोगस्स परियागं जाणिहि । तं जहा - आगई गई, ठिई, aaj, उवा, तर्क, कई, मगोमागतियं खयं भुतं, पहिलेदियं, आवोकम्मं, रहोकम्मं अरहा अरहरसनायी, तं तं मय-वयकाय-जोगे वट्टमाणाणं सव्य- लोए सव्व जीवाणं सव्व-भावे जाणमाणे, पासमाने विहरिस्सइ ।
वेगं मध्ये लावेगं बंतीए, गुत्तीए, मुतीए, अणुतरे, कसिणे, पडणे, निरावरणे, धाए
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एकेवली एया-येणं विहारेणं विहरमाणे बहूई बालाई केवल परियागं पाणिता, अपनो उसे आभोएला, बहूई मलाई पचखाइरसद, बहूई भलाई अगसगाए छेइस्सद, जस्साए कोरड जिग-कप-नाये पेर-कप-ना-मुडभावे, केस-लोए, बम्भचेर-वासे अण्हाणगं, अदंतवणं, अणुवहाणगं, भूमि-सज्जा, फलह-सेज्जा, परघर-पवेसो, लढावलद्वाई, माणावमाणाई, परेसि होलणाओ, निरगाओ, सिजाओ, तज्जणाओ ताडणाओ, वरहगाओ, उच्चावया विरुवस्वा बावीस पोरगा, गाम-कंटगा अहिपासिति तम आहे आहेता परिमेहिं उस्तास निस्सासहि सिज्झिहिद, बुवा, मुस्बिहि परिनिष्यादि सामंत करेहिह" ।।
"सेवं भंते! सेवं भंते " त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता संजमेणं तवसा अप्पा भावेमाणे विहरइ ॥
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रायप० ।
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