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धम्मकहाणुओगे चउत्थो खंधो
सावत्थिनयरीए केसिकमारसमणागमणं ३१ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जे केसी नाम कुमार-समणे जाइ-संपन्ने, कुल-संपन्ने, बल-संपन्ने, रुव-संपन्ने, विणय-संपन्ने, नाण
संपन्ने, दंसण-संपन्ने, चरित्त-संपन्ने, लज्जा-संपन्ने, लाघव-संपन्ने, लज्जा-लाघव-संपन्ने, ओयंसी, तेयंसी, बच्चसी, जसंसी जिय-कोहे जिय-माणे जिय-माए, जिय-लोहे, जिय-निद्दे, जिइन्दिए, जिय-परीसहे, जीवियास-मरणभय-विप्पमुक्के, तव-प्पहाणे, गुण-प्पहाणे, करण-प्पहाणे, चरण-प्पहाणे, निग्गह-प्पहाणे, निच्छय-प्पहाणे, अज्जव-प्पहाणे, मद्दव-प्पहाणे, लाघव-प्पहाणे, खन्ति-प्पहाणे, गुत्तिप्पहाणे, मुत्ति-प्पहाणे, विज्ज-प्पहाणे, मन्त-प्पहाणे, बम्भ-प्पहाणे, वेय-प्पहाणे, नय-प्पहाणे, नियम-प्पहाणे, सच्च-प्पहाणे, सोय-प्पहाणे, नाण-प्पहाणे, सण-प्पहाणे, चरित्त-प्पहाणे ओराले घोरे घोरगुणे घोरतबस्सी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्त-विउल-तेयलेस्से चउदस-पुब्बी, चउ-नाणोवगए, पहिं अणगार-सहि सद्धि संपरिबुडे, पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे, गामाणुगाम दूइज्जमाणे, सुहं-सुहेणं विहरमाणे, जेणेव सावत्थी नयरी, जेणेव कोट्ठए चेइए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सावत्थीए नयरीए बहिया कोट्टए चेइए अहा-पडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हइ, उग्गिण्हिता संजमेणं, तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ॥
विन्नायवृत्तंतस्स चित्तसारहिस्स केसिकुमारसमणवंदणट्टा गमणं, धम्मसवणं, गिहत्थधम्मपडिवत्तीय ३२ तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग तिग-चउक्क-चच्चर-चउमुह-महापह-पहेसु महया जण-सद्दे इ वा जण-वूहे इ वा जण-कलकले
इ वा जण-बोले इ वा जण-उम्मी इ वा जण-उक्कलिया इ वा जण-संनिवाए इ वा-जाव-परिसा पज्जुवासइ। तए णं तस्स सारहिस्स तं महा-जण-सदं च जण-कलकलं च सुणेत्ता य पासित्ता य इमेयारूवे अज्झथिए-जाव-समुप्पज्जित्था । कि णं अज्ज सावत्थीए नयरीए इन्द-महे इ वा खन्द-महे इ वा रुद्द-महे इ वा मउन्द-महे इ वा सिवमहे इ वा वेसमण-महे इ वा नाग-महे इ वा भूय-महे इ वा जक्ख-महे इ वा धूम-महे इ वा चेइयमहे इ वा रुक्ख-महे इ वा गिरि-महे इ वा दरि-महे इ वा अगड-महे इ वा नई-महे इ वा सर-महे इ वा सागर-महे इ वा, जं णं इमे बहवे उग्गा, भोगा, राइन्ना, इक्खागा, खत्तिया, नाया, कोरव्वा-जाव-इब्भा, इन्भपुत्ता पहाया, जहोववाइए-जाव-अप्पेगइया हय-गया, अप्पेगइया गय-गया, रह-गया सिविया-गया संदमाणिया-गया, अप्पेगइया, पाय-चार-विहारेणं महया महया वन्दावन्दहि निग्गच्छन्ति एवं संपेहेइ, संपेहिता कञ्चुइज्ज-पुरिसं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी"कि णं देवाणुप्पिया ! अज्ज सावत्थिीए नयरीए इन्द-महे इ वा-जाव-सागर-महे इ वा जेणं इमे बहवे उग्गा भोगा-जावनिग्गच्छन्ति"? तए णं से कंचुइज्जपुरिसे केसिस्स कुमार-समणस्स आगमण-गहिय-विणिच्छए चित्तं सारहि करयल-परिग्गहियं-जाव-वद्धावेत्ता एवं वयासी-- "नो खलु देवाणुप्पिया! अज्ज सावत्थीए नयरीए इन्द-महे इ वा-जाव-सागर-महे इ वा, जेणं इमे बहवे-जाव-वन्दावन्दएहि निग्गच्छन्ति । एवं खलु भो देवाणुप्पिया! पासावच्चिज्जे केसी नाम कुमार-समणे जाइ-संपन्ने-जाव-दूइज्जमाणे इहमागए-जाव-विहरइ,
तेणं अज्ज सावत्थीए नयरीए बहवे उग्गा-जाव-इब्भा, इब्भपुत्ता अप्पेगइया वन्दणवत्तियाए-जाव-मया बन्दावन्दएहि निग्गच्छन्ति"। ३३ तए णं से चित्ते सारही कंचुइज्ज-पुरिसस्स अन्तिए एयमह्र सोच्चा, निसम्म हट्ठ-तुट्ठ-जाव-हियए कोडुम्बिय-पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता
एवं बयासी"खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउ-घण्टं आस-रहं जुत्तामेव उवटवेह" -जाव-सच्छत्तं उबटुवेन्ति । तए णं से चित्ते सारही व्हाए, सुद्ध-प्पावेसाई मंगल्लाई वत्थाई पवरपरिहिए, अप्प-महग्घाभरणालंकिय-सरीरे, जेणेव चाउ-घण्टे आस-रहे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चाउ-घण्टं आस-रहं दुरुहइ, दुरुहित्ता सकोरिण्ट-मल्ल-दामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं, महया भडचडगरविन्दपरिक्खित्ते, सावत्थी-नयरीए मसं-मस्रणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कोट्ठए उज्जाणे, जेणेव केसी कुमार-समणे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता केसि-कुमार-समणस्स अदूरसामन्ते तुरए निगिण्हइ, निगिण्हित्ता रहं ठवेइ, ठवित्ता रहाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहिता जेणेव केसी कुमार-समणे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता केसि कुमार-समणं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता
वन्दइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता, नच्चासन्ने, नाइदूरे सुस्सूसमाणे, नमसमाणे, अभिमुहे, पंजलिउडे विणएणं पज्जुवासइ। ३४ तए णं से केसी कुमार-समणे चित्तस्स सारहिस्स तीसे य महइ-महालियाए महच्च-परिसाए चाउ-ज्जामं धम्म परिकहेइ । तं जहा--
सव्वाओ पाणाइवायाओ बेरमणं, सवाओ मसावायाओ बेरमणं, सव्वाओ अदिनादाणाओ बेरमणं, सव्वाओ बहिद्धादाणाओ वेरमणं।
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