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________________ धम्मकहाणुओगे दुतीयो खंधो सेलयस्स पव्वज्जा तए णं से सेलए मंडुयं रायं आपुच्छइ॥ तए णं मंडुए राया कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी"खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! सेलगपुरं नयरं आसिय-सित्त-सुइय-सम्मज्जिओवलितं-जाव-सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेह य कारवेह य, एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह ॥" तए णं से मंडुए दोच्चं पि को बियपुरिसे एवं वयासोखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! सेलगस्स रणो महत्थं महग्धं महरिहं विउलं निक्खमणाभिसेयं करेह ? जहेव मेहस्स तहेव नवरंपउमावती देवी अग्गकेसे पडिच्छइ, सच्चेव पडिग्गहं गहाय सीयं दुरुहइ । अवसेसं तहेव-जावतए णं से सेलगे पंचहि मंतिसहि सद्धि ? सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करेता जेणामेव सुए तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुयं अणगारं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ-जाव-पव्वइए। तए णं से सेलए अणगारे जाए-जाव-कम्मनिग्घायणट्ठाए एवं च णं विहरइ॥ तए णं से सेलए सुयस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहि चउत्थ-छटुट्ठमदसम-दुवालसेहि मासद्धमासखमहि अप्पाणं भावमाणे विहरइ॥ सुयस्स पुंडरीयपव्वए परिनिव्वाणं १९९ तए णं से सुए सेलगस्स अणगारस्स ताई पंथगपामोक्खाइं पंच अणगारसयाई सीसत्ताए वियरइ। तए णं से सुए अण्णया कयाइ सेलगपुराओ नगराओ सुभूमिभागाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ, पडिमिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ॥ तए णं से सुए अणगारे अण्णया कयाइ तेणं अणगारसहस्सेणं सद्धि संपरिवुडे पुवाणुपुचि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव पुंडरीयपव्वए-जाव-सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ २०० सेलगस्स रोगातका तए णं तस्स सेलगस्स रायरिसिस्स तेहि अंतेहि य पंतेहि य तुच्छेहि य लूहेहि य अरसेहि य विरसेहि य सीएहि य उण्हेहि य कालाइक्कंतेहि य पमाणाइक्कंतेहि य निच्चं पाणभोयणेहि य पयइ-सुकुमालस्स सुहोचियस्स सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूया उज्जला-जावदुरहियासा। कंडु-दाह-पित्तज्जर-परिगयसरीरे यावि विहरइ । तए णं से सेलए तेणं रोगायंकेणं सुक्के भुक्खे जाए यावि होत्था । तए णं से सेलए अण्णया कयाइ पुवाणुव्वि चरमाणे-जाव-विहरई॥ परिसा निग्गया। मंडुओ वि निग्गओ सेलगं अणगारं बंदइ नमसइ पज्जुवासइ ।। २०१ सेलगस्स मंडुयकया तिगिच्छा तए णं से मंडुए राया सेलगस्स अणगारस्स सरीरगं सुक्क भुक्खं सव्वाबाहं सरोगं पासइ, पासित्ता एवं वयासी"अहणं भंते! तुम्भं अहापवहि तेगिच्छिएहि अहापवत्तणं ओसह-भेसज्ज-भत्तपाणेणं तेगिच्छं आउट्टावेमि। तुभ णं भंते ! मम जाणसालासु समोसरह, फासु-एसणिज्जं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारगं ओगिण्हित्ताणं विहरह ॥" तए णं से सेलए अणगारे मंडुयस्स रण्णो एयम8 तह त्ति पडिसुणेइ॥ तए णं से मंडुए सेलगं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसि पाउब्भूए तामेव दिसि पडिगए। तए णं से सेलए कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए-जाव-उट्टियम्मि सूरे सहस्स-रस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते स-भंड-मत्तोवगरणमायाए पंथगपामोोहि पंचहि अणगारसएहिं सद्धि सेलगपुरमणुप्पविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव मंडुयस्स रण्णो जाणसाला तेणेव उवागच्छा, उवागच्छित्ता फासु-एसणिज्ज पीढ-फलग-सेज्जा-संथारगं ओगिण्हित्ताणं विहर।।। तए णं से मंडुए तेगिच्छिए सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी"तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! सेलगस्स फासु-एसणिज्जेण ओसह-भेसज्ज-भत्तपाणेणं तेगिच्छं आउद्देह ॥" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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