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________________ भरहचक्कवटिचरियं १२३ पगिण्हइ पोसहसालाए पोसहिए इव बंभयारी - जाव - अटुमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव मज्जण घरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हाए कयबलिकम्मे कयकोउअमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहा बाभरणालंकियसरीरे धूवपुष्फगंधमल्लहत्थगए मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय - जाव - सत्यवाहप्पभियओ अप्पेगइआ उप्पलहत्थगया - जाव - सुसेणं सेणावई पिटुओ पिटुओ अणुगच्छंति । तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहुईओ खुज्जाओ चिलाइयाओ - जाव - इंगिय-चितिय पत्थिय-वियाणियाओ पिउणकुसलाओ विणीयाओ - जाव - अणुगच्छंति । ५२७ तए णं से सुसेणे सेणावई सविड्ढीए सबजुईए · जाव - णिग्घोसणाइएणं जेणेव तिमिगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कबाडा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता आलोए पगामं करेइ करिता लोमहत्यगं परामुसइ, परामुसित्ता तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे लोमहत्थेणं पमज्जइ, पमज्जित्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेइ अन्भुक्खिता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितले चच्चए दलइ, दलिता अग्गेहि वरेहि गंहिं अ मल्लेहि अ अच्चिणेइ, अच्चिणित्ता पुप्फारुहणं - जाव - वत्थारुहणं करेइ, करित्ता आसत्तोसत्तविपुलवट्ट - जाव - करेइ, करित्ता अछेहि सण्हेहि रययामएहि अच्छरसातंडुलेहि तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुबारस्स कवाडाणं पुरओ अट्ठमंगलए आलिहइ, तं जहा-सोत्थिय सिरिवच्छ - जाव - कयग्गहगहिअकरयलपन्भट्टचंदप्पभवइरवेरुलिअविमलदंडं -जाव- धूवं दलयइ, दलइत्ता वामं जाणुं अंचेइ, अंचित्ता करयल • जाव - मत्थए अंजलि कटु कवाडाणं पणामं करेइ, करिता दंडरयणं परामुसइ, तए णं तं दंडरयणं पंचलइयं वइरसारमइयं विणासणं सम्वसत्तुसेण्णाणं खंधावारे णरवइस्स गड्ड-दरि-विसम-प-भार-गिरिवर-पवायाणं समीकरणं संतिकरं सुभकरं हियकरं रणो हिय-इच्छिय-मगोरह-पूरगं दिव्वमप्पडिहयं दंडरयणं गहाय सत्तट्ठ पयाई पच्चोसक्कइ पच्चोसक्कित्ता तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे दंडरयणेणं महया महया सद्देणं तिक्खुत्तो आउडेइ । तए णं तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा सुसेणसेगावइणा दंडरयणेणं महया महया सद्देणं तिक्खुत्तो आउडिया समाणा महया महया सद्देणं कोंचारवं करेमाणा सरसरस्स सगाई सगाई ठाणाई पच्चोसक्किस्था । तए णं से सुसेणे सेणावई तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स - कवाडे विहाडेइ, विहाडित्ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता - जाव - भरहं रायं करयलपरिग्गहियं जएणं विजएणं वद्धावेइ, बद्धावेत्ता एवं बयासीविहाडिया णं देवाणुप्पिया ! तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा, एपण्णं देवाणुप्पियाणं पियं णिवेएमि, पियं भे भवउ। मणिरयणसहियस्स भरहस्स तिमिसगुहादारे पयाणं ५२८ तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेगावइस्स अंतिए एपम8 सोच्चा निसम्म हदुतुटुचित्तमाणंदिए-जाव - हियए सुसेणं सेणावई सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारिता सम्माणिता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हय-गय-रह-पवर तहेव जाव अंजणगिरिकृडसण्णिभं गयवरं णरवई दुरूढे ॥ ५२९ तए णं से भरहे राया मणिरयणं परामुसइ तोतं चउरंगुलप्पमाणमित्तं च अणग्धं तंसियं छलंसं अणोवमजुई दिव्वं मणिरयणपइसमं वेरुलियं सव्वभूयकंतं जेण य मुद्धागएणं दुक्खं ण किंचि - जाव - हवइ आरोग्गे य सम्वकालं तेरिच्छियदेव-माणुसकया य उवसग्गा सव्वे ण करति तस्स दुक्खं, संगामेऽवि असत्यवज्झो होइ णरो मणिवरं धरेंतो ठियजोवणकेस-अवट्ठिय-णहो हवइ य सव्वभयविप्पमुक्को । तं मणिरयणं गहाय से णरवई हत्थिरयणस्स दाहिणिल्लाए कुंभीए णिक्खिवइ । तए णं से भरहाहिवे गरिदे हारोत्थय-सुकय-रइय-वच्छे - जाव - अमरवइसण्णिभाए इड्ढीए पहियकित्ती मणिरयणकउज्जोए चक्यरयणदेसियमग्गे अणेगरायसहस्साणुयायमग्गे महया उक्किट्ठि-सीहणाय-बोल-कलकलरवेणं समुद्दरवभूयं पिव करेमाणे जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिल्ले दुवारे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता तिमिसगुहं दाहिणिल्लेणं दुवारेणं अईइ ससि व्व मेहंघयारणिवह। कलरवेण सम्वरमय पिच परमाण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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