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________________ भरहचक्कवट्टिचरियं १५ चक्करयणस्स अट्ठाहियमहामहिमाकरणं ४९८ तए णं से भरहे राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेह, सद्दावेइत्ता एवं वयासी "खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! विणीयं रायहाणिं सम्भितर-बाहिरियं आसिय-संमज्जिय-सित्त-सुइग-रत्यंतर-वीहियं मंचाइमंचकलियं णाणाविह-राग-वसग-ऊसिय-झय-पडागाइपडाग-मंडियं लाउल्लोइय-महियं गोसीस-सरस-रत्त-चंदण-कलसं, चंदण-घड-मुकय - जाव - गंधुद्धयाभिरामं, सुगंधवरगंघियं, गंधवट्टिभूयं करेह, कारबेह, करेत्ता कारवेत्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह ।" तए णं ते कोडुंबिय-पुरिसा भरहेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठ करयल - जाव - ‘एवं सामि त्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता भरहस्स० अंतियाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता विणीयं रायहाणिं-जाव-करेत्ता कारवेत्ता य तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ।। ४९९ तए णं से भरहे राया जेणेव मज्जगधरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्त-मणिरयण-कुट्टिम-तले रमणिज्जे व्हाणमंडवंसि णाणामणि-रयण-भत्ति-चित्तंसि ण्हाणपीढंसि सुहणिसणे, सुहोदएहि गंधोदहि पुप्फोदएहिं सुद्धोदएहि य पुण्णे कल्लाणग-पवर-मज्जण-विहीए मज्जिए तत्थ कोउय-सएहिं बहुविहेहिं कल्लाणग-पवर-मज्जणावसाणे पम्हल-सुकुमाल-गंध-कासाइय-लूहियंगे, सरस-सुरहि-गोसीसचंदणाणुलित्तंगत्ते, अहय-सुमहग्घ-दूस-रयण-सुसंवुडे, सुइमालावण्णगविलेवणे आबिद्ध-मणि-सुवण्णे कप्पिय-हारद्ध-हारतिसरिय-पालं ब-पलबमाण-कडिसुत्त-सुकयसोहे, पिणद्ध-विज्जग-अंगुलिज्जग-ललियगय-ललिय-कयाभरणे, णाणा-मणि-कडगतुडिय-थंभियभुए, अहिय-सस्सिरीए, कुंडल-उज्जोइयाणणे मउड-दित्तसिरए, हारोत्थय-सुकय-रइय-वच्छे, पालंब पलंबमाणसुकय-पड-उत्तरिज्जे, मुद्दिया-पिंगलंगुलीए, णाणा-मणि-कगग-विमल-महरिह-णिउणोविय-मिसिमिसिंत-विरइय-सुसिलिट्ठविसिट्ठ-लट्ठ-संठिय-पसस्थ-आविद्ध-वीरबलए । किं बहुणा ?, कप्परुक्खए चेव अलंकिय-विभूसिए परिंदे सकोरंट - जाव - चउ-चामर-वाल-वोइयंगे मंगल-जय-जयसह-कयालोए, अणेग-गणगायग-दंडणायग - जाब - दूय-संधिवाल-सद्धिं संपरिवुडे, धवल-महामेह-णिग्गए इव - जाब - ससिब्ब पियदंसणे, णरबई धूव-पुष्फ-गंध-मल्ल-हत्थगए मज्जण बराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमिता जेणेव आउहघरसाला जेणेव चक्करयणे तेणामेव पहारेत्थ गमणाए । ५०० तए णं तस्स भरहस्स रण्णो बहवे ईसर-पभिईओ अप्पेगइआ पउमहन्थगया अपेगइया उप्पलहत्थगया- जाव-अप्पेगइआ सयसहस्स-पत्त-हत्थगया भरहं रायाणं पिट्ठओ पिट्ठओ अणुगच्छति । तए णं तस्स भरहस्स रण्णो बहुईओगाहाओखुज्जा चिलाइ वामणिबडभीओ बब्बरी बउसियाओ । जोणिय-पहवियाओ ईसिणिय-थारुगिणियाओ ॥१॥ लासिय-लउसिय-दमिलो सिंहलि तह आरबो पुलिंदो य । पक्कणि बहलि मुरुंडी सबरीओ पारसीओ य ॥२॥ अप्पेगइया बंदण-कलस-हत्थगयाओ भिंगार-आदस-याल-पाति-सुपइट्ठग-वायकरग-रयणकरंडग-पुष्फचंगेरी-मल्ल-यण्ण-चुष्ण-गंधवत्थ-आभरण-लोम-हत्थयचंगेरी-पुप्फपडल-हत्थगयाओ - जाव - लोमहत्थगयाओ अप्पेगइआओ सीहासणहत्थगयाओ छत्त-चामर-हत्थगयाओ तिल्ल-समुरगय-हत्थगयाओ, गाहातेल्ले-कोट्टमुरगे, पत्ते चोए अ तगर मेला य । हरिआले हिंगुलए, मणोसिला सासवसमुरगे ॥१॥ अप्पेगइआओ तालिअंटहत्थगयाओ, अप्पे० धूवक्कडुच्छुअ-हत्थगयाओ भरहं रायाणं पिट्ठओ पिट्ठओ अणुगच्छति । ५०१ तए णं से भरहे राया सविड्ढीए सव्वजुईए सव्वबलेणं सव्वसमुदएणं सब्वायरेणं सम्वविभूसाए सम्वविभूईए सव्व-वत्थ-पुष्फ गंध-मल्लालंकार-विभूसाए सव्वतुडिय-सद्द-सण्णिणाएणं महया इड्ढोए - जाव - महया वर-तुडिय-जमगसमग-प्पवाइएणं संखपणव-पडह-भेरि-मल्लरि-खरमुहि-मुरय-मुइंग-दुंदुहि-णिग्घोसणाइएणं जेणेव आउह-घरसाला तेणेव उवागच्छह, उवागच्छित्ता आलोए चक्करयणरस पणामं करेइ, करित्ता जेणेव चक्करयणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता लोमहत्थयं परामुसइ, परामुसित्ता चक्करयणं पमज्जइ पमज्जित्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेइ,अब्भुक्खित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं अणुलिंपइ, अणुलिंपित्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहिं मल्लेहिं अ अच्चिणइ, पुप्फारुहणं मल्ल-गंध-वण्ण-चुण्ण-वत्थाहणं आभरणारुहणं करेइ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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