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धर्मकथानुयोग-विषय-सूची
११ जमाली ने जनपद में विहार करने के लिए प्रार्थना की किन्तु भ. महावीर मौन रहे
१२ जमाली का जनपद विहार और श्रावस्ती में आगमन
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भ. महावीर का चम्पा में आगमन
१४ जमाली को रोग के आतंक से पीड़ा और शय्या संस्तारक के लिए आज्ञा प्रदान करना जमाली और उसके शिष्यों का शय्या करने में "कृत कार्यमाण" के विषयों में प्रश्नोत्तर "चलमान चलित है" इत्यादि भगवंत की प्ररूपणा से जमाली का विरोध
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जमाली के प्ररूपण पर श्रद्धा न करने वाले कुछ श्रमणों का भगवान के समीप आना चम्पा में भ. महावीर के समक्ष जमाली ने अपने को केवली घोषित किया
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लोक और जीव के विषय में गौतम के प्रश्न करने पर जमाली का चुप रहना भगवंत प्ररूपित लोक और जीवों का शास्वतपन तथा अशास्वतपन २१ जमाली का श्रद्धा न करना और मरने पर लांतक कल्प में किल्विषी देव होना
२२ किल्विषी देवों के भेदों का प्ररूपण
२३ जमाली के अन्यभव और सिद्ध गति की प्राप्ति
३ आजीविक तीर्थंकर गोशालक का कथानक
१
स. वत्थी नगरी में रहने वाली "हालाहला" नामकी कुंभारी की हाट में " गोशालक "
२
छ दिशाचरों ने पूर्व में से ( दस प्रकार के निमित्तों का ) निर्यूहण किया
३ गोशालक ने छ अनतिक्रमणीयों का प्ररूपण किया
४ गोशालक ने अपने आपको जिन कहा
५
भ. महावीर का समवसरण और गौतम का गौचरी जाना
६ गौतम का गौशालक की चर्या जानने के लिए कहना
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भ. महावीर ने गौतम को गौशालक के चरित्र का पूर्व भाग कहा
(४०)
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१० मंखली और भद्राने अपने पुत्र का नाम "गौशालक" दिया
११ गौशालक की मंखचर्या
"मंखली की भद्रा भा का गर्भिणी होना'
मंखली और भद्रा का गौशाला में निवास
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भ. महावीर का नालंदा की तन्तुशाला में विहरण
गौशालक का भी तन्तुशाला में आगमन
भ. महावीर के प्रथम मासखमण के पारणे में पाँच दिव्य प्रगटे
शिष्य बनाने के लिए गौशालक की प्रार्थना और भ महावीर की उदासीनता
१६
भ. महावीर के द्वितीय मासखमण के पारण में पाँच दिव्य प्रगटे
१७ शिष्य बनाने के लिए गौशालक की पुनः प्रार्थना और भ. महावीर की उदासीनता भ. महावीर के तृतीय मासखमण के पारणे में पाँच दिव्य प्रगटे
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१९ शिष्य बनाने के लिए गौशालक की पुनः प्रार्थना और भ. महावीर की उदासीनता
२०
भ. महावीर के चतुर्थ मासखमण के पारणे में पांच दिव्य प्रगटे
२१ शिष्य बनाने के लिए गौशालक ने पुनः प्रार्थना की और भगवान ने अनुमति दी - गौशालक का
साथ विहरण
२२ तिल के पौधे के सम्बन्ध में भगवान के वचन गौशालक की अश्रद्धा
२३ गौशालक के वचन से
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'क्रुद्ध
'वैश्यायन बाल-तपस्वी ने गौशालक के ऊपर तेजोलेश्या फेंकी
२४
भ. महावीर ने गौशालक की रक्षा के लिए शीतलेश्या फेंकी २५ तेजोलेश्या की सिद्धि के उपाय
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भ. महावीर कथित तिल के पौधे को देखकर गौशालक का चले जाना
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सूचांक
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