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________________ (३८) पृष्ठांक ३५८ ३५८ ।।।।। ३५९ ३५९-३६० ३६०-३६२ ३०१ mr mmm Im mmmmmm urururur ३६३-३७१ ३०६ धर्मकथानुयोग-विषय-सूची. सूत्रांक ३ वरुण का रथ-मुसल-संग्राम में जाना ४ संग्राम में वरुण का अभिग्रह ५ वरुण ने संलेखना की ६ वरुणनाग नप्तृक के मित्र ने भी वरुण का अनुसरण किया ७ वरुण के मरने पर देवकृत वृष्टि ८ वरुण की देवलोक में उत्पत्ति और उसके बाद सिद्धगति प्राप्त करने का निरूपण २९९ ९ वरुण का मित्र भी सुकुल में उत्पन्न हुआ ३०० १८ सोमिल ब्राह्मण श्रमणोपासक ३०१-३०४ १ बाणिज्य ग्राम में सोमिल ब्राह्मण और भ. महावीर का समवसरण २ सोमिल ब्राह्मण का समवसरण में जाना ३०२ ३ सोमिल के यात्रादि प्रश्नों का भगवान ने समाधान किया ४ सोमिल का श्रावक धर्म ग्रहण करना ५ सोमिल की देवगति और सिद्धगति का निर्देश ३०४ १९ भ. महावीर के श्रमणोपासकों की देवलोक स्थिति का निरूपण ३०५ २ कूणिक का भ. महावीर के समवसरण में जाना और धर्मश्रवण करना ३०६-३२७ १ चम्पानगरी-वर्णक २ पूर्णभद्र चैत्य का वर्णक ३ वनखण्ड-वर्णक ३०८ ४ अशोक वृक्ष-वर्णक ५ पृथ्वीशिला पट्ट-वर्णक ६ चम्पा में कूणिक राजा ७ कूणिक की धारिणी देवी ८ भ. महावीर की प्रवृत्ति के निवेदक पुरुष की कूणिक ने स्थायी नियुक्ति की ३१३ कोणिक का सुखपूर्वक विहरण ३१४ १० भगवान की प्रवृत्ति के निवेदक पुरुष ने कोणिक के समक्ष चम्पा में आगमन का निवेदन किया ११ भगवान को कौणिक के नमस्कारादि १२ चम्पा में भ. महावीर का समवसरण ३१७ १३ चम्पानगरी निवासी जनों का समवसरण में जाना और पर्युपासना करना ३१८ १४ भगवान की प्रवृत्ति के निवेदक पुरुष ने कोणिक के समक्ष भगवान के आगमन का निवेदन (१) ३१९ १५ कोणिक का भ. महावीर के दर्शन का संकल्प और सर्व ऋद्धि से समवसरण में जाने के लिए प्रस्थान ३२० १६ कूणिक का समवसरण की ओर प्रयाण १७ कूणिक का समवसरण में आगमन और पर्युपासना ३२२ १८ सुभद्रादि कौणिक की भार्याओं का समवसरण में आना और पर्युपासना करना ३२३ १९ भ. महावीर की धर्मदेशना ३२४ २० परिषदा की धर्माराधना और स्वगृहगमन २१ कौणिक ने धर्मदेशना की प्रशंसा की और अपने भवन को गया २२ सुभद्रादि कौणिक की भार्याओं ने धर्मदेशना की प्रशंसा की और अपने निवास (अन्तःपुर) को गयी ३२७ १. सूत्रांक ३१५ में और इस ३१९ सूत्रांक में विशेष अन्तर नहीं है। केवल वाचना भेद का अन्तर है। mmmmmm ३११ ३१२ ३६५ mmmmm or orum ३६७ ३२१ ३६९-३७० ३७० ३७१ ३७१ ३२५ ३२६ ३७१ ३७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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