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418 : प्राकृत व्याकरण
सुहओ
सुक्कं सुक्किलं सुक्खं सुगओ सुगन्धत्तणं
सुहओ सुहकरो सुहदो
सुगं सुज्जो
वि पु. (सुभगः) अच्छे भाग्य वाला; १-११३, १९२। वि (सुखदः) सुख को देने वाला; १-१७७। वि (सुखकरः) सुख को करने वाला; १-१७७ । वि (सुखदः) सुख को देने वाला; १-१७७१ सुहेण न (सुखेन) सुख से; १-२३१॥ वि (सुक्ष्मम्) छोटा; २-१०१। वि (सुखकरः) सुख को करने वाला; १-१७७ । आर्ष वि. (सूक्ष्मम्) अत्यन्त छोटा, बारीक; १-११८; २-११३। न. (सुखेन) सुख से; १-२३१।
सुणओ
सुण्डो
सुण्हं
सुण्हा
सुण्हा सुतारं
सुत्ती सुत्तो
सुदंसणो
सुदरिसणो
सेज्जा सेन्दूरं
सुद्धोअणी
सुन्दरि सुन्दरिअं
वि (शुष्कम्) सूखा हुआ; २-५। वि (शुक्लम्) सफेद वर्ण वाला श्वेत; २-१०६। वि (शुष्कम्) सूखा हुआ; २-५। वि (सुगतः) अच्छी गति वाला; १-१७७। न (सौगन्धत्वम्) अच्छा गन्धपना; १-१६०। न. (शुल्कम्) चूंगी, मूल्य आदि २-११। पुं. (सूर्यः) सूरज, रवि, आक का पेड़, दैत्य विशेष; सुहमं २-६४।
सहुयरो पु. (शुनकः) कुत्ता; १-५२। ।
सुहुमं पु. (शोण्डः ) दारू-शराब पीने वाला; १-१६०। वि (सूक्ष्मम्) अति छोटा; १-११८
सुहेण स्त्री (सास्ना) गौ का गल-कम्बल; गाय का सूचमड़ा विशेष; १-७५) स्त्री (स्नुषा) पुत्र-वधू; १-२६१ । वि (सुतारम्) अत्यन्त निर्मल; अत्युच्च आवाज सूरो वाला;१-१७७ स्त्री (शुक्तिः ) सीप, घोंघा; २-१३८, २११। सूरिओ वि (सुप्तः) सोया हुआ; २-७७॥
सूरिसो वि (सुदर्शनः) जिसका दर्शन सुन्दर हो वह; । सूसासो २-१०५।
सूहवो वि. (सुदर्शनः) जिसका दर्शन सुन्दर हो वह; २-१०५॥ वि (शुद्धम्) पवित्र, निर्दोष; १-२६०॥ पु. (शौद्धोदनिः) बुद्ध देव, गौतम; १-१६०। स्त्री (सुन्दरि) उत्तम स्त्री २-१९६|
सेनं न (सौन्दर्यम्) सुन्दरता; १-१६०; २-१०७/ सेफो न (सौन्दर्यम्) सुन्दरता;१-५७, १६०,२-६३,९३।। सेभालिआ न. (सुप्रभातम्) अच्छा प्रातःकाल २-२०४। पु. (सुपुरूषाः) अच्छे पुरूष, सज्जन; २-१८४ सेरं अक. (स्वपिति) वह सोती है; २-१७९। न (शुल्बम्) तांबा नामक धातु विशेष, रस्सी सेला २-७९)
सेवा न. (सुमनस्) अच्छा मन; १-३२। आर्ष पु. (स्वप्नः) स्वप्न, सपना; १-४६ । पु. (सुह्याः) देश-विशेष; २-७४। पु. (सुराष्ट्राः ) अच्छे देश; २-३४।
सेहालिआ स्त्री. (सुरवधूः) देवता की बहु; १-९७) पु. स. (सुरभि) तुगन्ध; २-१५५।
सोअमल्लं स्त्री. (सुरा) मदिरा, शराब, दारू १-१०२। नं. (मुध्नम्) २-११६।
सोउआण अक (स्वपिति) वह सोता है; १-६४। सोच्चा पु. (सुपर्ण) गरूड़-पक्षी; १-२६।
सोण्डीरं वि. (सौवर्णिकः) स्वर्णमय, सोने का बना हुआ;
सोत्तं १-१६०।
सोमालो वि (स्वे) सम गोत्री; अपने स्व जाति के; २-११४।
सोरिअं अ (श्व:) आने वाला कल; २-११४।
सोवई स्त्री (स्नुषा) पुत्र-वधू; १-२६१।
सोहइ न (श्मशानम्) मसाण, मरघट; २-८६ ।
सुन्दरं
सुपहायं
सेयं
सुपुरिसा सुप्पइ सुब्बं
पसूण न (प्रसुन) फूल, पुष्प; १-१६६। प्रसूणं न (प्रसूनम्) फूल, पुष्प; १-१८१। पु. (सूरः) सूर्य, रवि; २-६४। (सूर्यः) सूर्य, रवि; २-६४,२०७४ पु. (सूर्यः) सूरज, रवि; २-१०७। पुं. (सुपुरूषः) अच्छा पुरूष, सज्जन; १-८। वि. (सोच्छ्वासः) ऊर्ध्वश्वास वाला; १-१५७/ वि (सुभगः) अच्छे भाग्य वाला; १-११३, १९२ से (तस्य) उसका; २-१८८। स्त्री (शय्या) बिछौना; १-५७; २-२४। न. (सिन्दूरम्) सिन्दूर, रक्त वर्ण का चूर्ण विशेष; १-८५। न (सैन्यम) सेना, लश्कर, फौज; १-१५०। पु. (श्लेष्मा) कफ, श्लेष्मा; २-५५। स्त्री (सेफालिका) लता-विशेष; १-२३६। न (श्रेयस्) कल्याणकारी; १-३२। वि (स्मेरम्) खिलने के स्वभाव वाला विक स्वर; २-७८/ पुं. (शैलाः) पर्वतों का समूह; १-४८। सेव्वा स्त्री (सेवा) सेवा, आराधना, चाकरी; २-९९। वि (शेषः) बाकी, अवशिष्ट: शेष; १-२६०। सेसस्स वि (शेषस्य) बाकी रहे हुए का; २-१८२। स्त्री (शैफालिका) लता-विशेष; १-२३६ । सर्व (सः) वह; १-१७, १७७,२-९९, १८०। न. (सीकुमार्यम्) सुकुमारता, अति कोमलता; १-१०७;२-६८। संकृ. (श्रुत्वा) सुन करके; २-१४६। सं.कृ. (श्रुत्वा) सुन करके; २-१५ । न. (शौण्डीर्यम्) पराक्रम, शूरता, गर्व; २-६३। न (स्रोतस्) प्रवाह, झरना; छिद्र; २-९८॥ वि. (सुकुमारः) अति कोमल, सुन्दर, कुमार अवस्था वाला; १-१७१, १५४। न (शौर्यम्) शूरता, पराक्रम; २-१०७/ अक (स्वपिति) वह सोता है; १-६४। अक (शोभते) वह शोभा पाता है; १-१८७।
सुमणं
सेसो
सुमिणो सुम्हा सुरहा सुरबहू सुरहि
सुरा सुरूग्धं सुवइ सुवण्ण
सुवण्णिओ
सुवे
सुवे
सुसा सुसाणं
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