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परिशिष्ट-भाग : 409
रअणीअरो
रग्गो रच
पु (रजनीकरः) रात्रि में चलने वाले राक्षस आदिः रिऊ १-८
रिक्खा स्त्री (रति) नाम-विशेष: कामदेव की स्त्री। रिक्खं पुं. (रक्तः ) लाल वर्ण, २-१०, ८९।
रिच्छो
रिच्छं विरएमि अक. (विरमामि) में क्रीडा करता हूं; रिज्जू २-२०३।
रिण (देशज वि) (रणरणकम्) निश्वास, उद्वेग, रिद्धी उत्कण्ठा ; २-२०४। न (अरण्यम्) जंगल; १-६६।
रिसहो स्त्री (रात्रिः) रात, निशा; २-७९, ८८| वि पु. (रक्तः) लाल वर्ण वाला; २-१०॥
रणरणयं
रणं रत्ती
रिसी
रभ
रू
रयणं रयणीअरो रयदं रयय रवी रस रसायलं
पुं. (रिपुः) शत्रु, दुश्मन; १-१७७, २३१ । पुं. (ऋक्षः) रीछ, भालू; २-१९।। पुं. (ऋक्षम्) रीछ को; भालू को; २-१९। पुं. (ऋक्षः) रौंछ, भालू; १-१४०, २-१९। पुं. (ऋक्षम्) रीछ को, भालू को; २-१९। वि (ऋजुः) सरल, निष्कपट, सीधा; १-१४१। न (ऋणम्) ऋण, कर्ज; १-१४१।। स्त्री (ऋद्धिः ) संपत्ति, समृद्धि, वैभव; १-१२८, १४०; २-४१ पुं. (ऋषभः) प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभ; १-१४१ । पुं. (ऋषिः) ऋषि; मुनि, साधु, ज्ञानी महात्मा; १-१४१। न. (रूतम्) शब्द, आवाज; २-१८३। पुं. न. (वृक्ष) पेड़, गाच्छ, पादप; २-१९॥ पुं. (वृक्षः) पेड़, गाच्छ, पादप; २-१२७) न. (वृक्षाः) पेड़, गाच्छ, पादप; १-३४| पुं. (वृक्षाः) पेड़, गाच्छ, पादप; १-३४| वि (रूदितम्) रोया हुआ; रूदन किया हुआ; १-२०९। पुं. (रूद्रः) महादेव, नाम-विशेष; २-८०। स्त्री (रूद्रः) महादेव, नाम-विशेष; २-८०। स्त्री (रूक्मिणी) नाम विशेष; वासुदेव की पत्नी; २-५२। वि (रूक्मी) सोना वाला, चांदी वाला; २-५२, ८९॥ पुं. (रूधिर) रक्त; खून; १-६। पुं. (रूपः) आकृति; १-१४२। पु. (रूपेण) आकृति से; आकार से; २-१८४। अ. (रे) परिहास, अधिक्षेप, आक्षेप, तिरस्कार आदि अर्थक अव्यय; २-२०१। पुं. (रेफ:) 'र' अक्षर, रकार; दुष्ट, निर्दय, गरीब; १-२३६। अक (राजते) शोभित होती है; २-२११॥ स्त्री (रेखा) चिन्ह विशेष, लकीर २-७/ पुं. (रेखावान्) रेखा वाला; २-१५९। वि (रोदिता) रोने वाला; २-१४५। पुं. (रोषम्) क्रोध को; २-१९०, १९१।
(ल) पुन (लक्षण) अन्य से भेद-सूचक चिन्ह; वस्तु-स्वरूप; २-१७४। न (लक्षण) लक्षण, चिन्ह, २-३। पु. (लग्नः) स्तुति-पाठक; २-७८। न (लांगलम्) हल; १-२५६। न (लांगूलम्) पुच्छ, पूंछ; १-२५६। न (लंघनम्) भोजन नहीं करना; १-३०। स्त्री. (लक्ष्मीः ) संपत्ति, वैभव क्रान्ति; २-१७। न (लांछनम्) चिन्ह, अंकन; १-२५; ३०। न (लांछनम्) चिन्ह, अंकन; १-३०।
रूवो
आढत्तो, आरद्धो वि (आरब्धः) शुरू किया हुआ; रूक्ख १-१३८
रूक्खो
रूक्खाई गइ अक आत्मनेपदी (रमते) वह क्रीड़ा करता रूक्खा 6%;१-२०२।
रूण्णं रमिअ संब कृ. (रमित्वा) रमण करके; २-१४६। न (रत्नम्) रत्न, माणिक्य, मणि; २-१०१। रूद्दो पुं. (रजनीचरः) रात्रि में चलने वाला राक्षस, १-८।। न (रजतम्) चांदी नामक धातु; १-२०९। रूप्पिणी न (रजतम्) चांदी नामक धातुः१-१७७; १८०, २०९। पु. (रविः) सूर्य; १-१७२।
रूप्पी पु.न. (रस) मधुर आदि रस; २-१। न (रसातलं) पाताल लोक, पृथ्वी के नीचे का रूहिर अतिम भाग; १-१७७, १८०। . (रसालः) आम्र वृक्ष, आम का गाछ; २-१५९। रूवेण स्त्री. (रश्मिः ) किरण, रस्सी; १-३५; २-७४,७८ वि रहस्यम् गुह्य, गोपनीय; एकान्त का; २-१९८, २०४।
रेभो पुं. (रघुपतिना) रघुपति से; २-१८८। न. (राजकीयम्) राज-संबंधी; २-१४८ स्त्री. (रात्रिः) रात, निशा; २-८८५ न (राजीवम्) कमल, पद्म; १-१८०।
रेहिरो न. (राजकुलम्) राज-समूह; राजा का वंश; रोविरो १-२६७/ पुं. (रागः) रंगना; रंजन; १-६८। पुं. (राम) श्री रामचन्द्रजी; २-१६४।।
लक्खण न. (राजकुलम्) राज-समूह; राजा का वंश; १-१६७|
लक्खणं न (राजकीयम्) राज संबंधी; २-१४८
लग्गो न (राजवार्तिकम्) राज संबंधी वार्ता-समूह; २-३०। लंगलं न. (राजगृहम्) राजा का महल; २-१४४। लंगूलं अ (रे) संभाषण अथवा संबोधन अर्थक अव्यय; लंघणं २-२१७|
लच्छी पु. (ऋतु:) ऋतु; दो मास का काल विशेष; लंछणं १-१४१,२०९।
लंछणं
रसालो रस्सी
रहुवइणा राइक्कं
रेहइ रेहा
राई
राईवं
राउलं
रोसं
राओ राम रायउलं
रायरं रायवट्ठयं रायहरं
रिऊ
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