________________
408 : प्राकृत व्याकरण
मिइंगो
मिच्चू
मिच्छा मिट्ठ मिरि मिलाइ
मुसा
मुह
मिलाणं मिलिच्छो मिव
पुं. (मृदंगः) मृदंग; वाजा विशेष; १-१३७। मुरूक्खो पु. (मृत्युः ) मृत्यु, मरण, यमराज; १-१३०॥
मुव्वहइ अ. (मिथ्या) असत्य, झूठ; २-२१ । वि (मृष्ठं) मीठा, मधुर; १-१२८
मुसलं न. पु. (मरिचम्) मरिच का गांछ; मिरच; १-१४६। अक (म्लायति) वह म्लान होता है, निस्तेज होता मुसावाओ है; २-१०६।
मुह वि (म्लानम्) म्लान, निस्तेज; २-१०६ । पुं. (म्लेच्छ:) म्लेच्छ, अनार्य पुरूष; १-८४। मुहलो अ. (इव) उपमा, साद्दश्य, तुलना, उत्प्रेक्षा के संयोग में काम आने वाला अव्यय विशेष; २-१८२। मुहुत्तो न (मिथुनम्) स्त्री-पुरूष का जोडा; दम्पति; ज्योतिष्-प्रसिद्ध एक राशि; १-१८८।
मुहुल्लं न. (मिश्रम्) मिलावट वाला; १-४३; २-१७०।। वि. (मिश्रितम्) संयुक्त, मिला हुआ; २-१७०। पुं. (मृदङ्गः) मृदङ्ग; १-४६, १३७। वि. (मुक्तः) छोड़ा हुआ, व्यक्त; मोक्ष-प्राप्त; २-२॥
मूसावाओ वि (मूकः) गूंगा; वाक्-शक्ति से रहित; २-९९। मेढी वि (मूर्ख:) मूर्ख, अज्ञानी; २-८९, ११२।।
मिहुणं
मीसं मीसालिअं
मूओ मूसओ
मुइंगो मुक्को
मूसलं
मूसा
मुक्को मुक्खो
वि (मूर्खः) मूर्ख, अज्ञानी; २-१९२। सक (उद्वहति) वह धारण करता है; वह उठाता है; २-१७४। न. (मुसलम्) मूसल; १-११३। अ. (मृषा) मिथ्या, अनृत, झूठ; १-१३६ । पु. (मृषावादः) मिथ्या वचन, झूठे बोल; १-१३६ । न. (मुख) मुंह, वदन, मुख; १-२४९। न. (मुखम्) मुंह, वदन, मुख; १-१८७; २-१६४ वि (मुखरः) वाचाल, बकवादी, बहुत बोलने वाला; १-२५४। पु. (मुहूर्तः) दो घड़ी का काल; अड़तालीस मिनिट का समय; २-३०॥ न. (मुखम्) मुह, मुख; २-१६४! वि (मूकः) वाक् शक्ति से रहित, गूंगा; २-९९ । पुं. (मूषकः) चूहा; १-८८। न (मुसलम्) मूसल; १-११३। अ (मृषा) मिथ्या, अनृत, झूठ; १-१३६। पु. (मृषावादः) मिथ्या वचन, झूठे बोल; १-१३६ । पु. (मेढिः) खलिहान में पशु को बांधने का काष्ठ-विशेष; १-२१५ न (मात्रम्) मात्र, सीमान्त; १-८१। स्त्री देशज (?) (मिरा) मर्यादा, १-८७॥ स्त्री (मेखला) कांची, करघनी, कटि में पहिनने का आभूषण; १-१८७। पुं. (मेघाः ) बादल; १-१८७) पुं. (मेघः) बादल; १-१८७) न (मोक्षम्) छुटकारा, मुक्ति ; २-१७६ | पुं. (मुद्गरः) मोगरा का गाछ, पेड़ विशेष, मृद्गर; १-११६; २-७७। न (मुण्डम्) मुण्ड, मस्तक, सिर; १-११६, २०२। संब कृ. (मुक्त्वा ) छोड़ करके; २-१४६। स्त्री. (मुस्ता) मोथा, नागर मोथा नामक ओषधि विशेष; १-११६। अ (मुधा) व्यर्थ, फिजूल; २-२१४| पुं. (मयूरः) पक्षि-विशेष; मोर; १-१७१। न (मूल्यम्) कीमत; १-१२४। अ. (मृषा) झूठ, मिथ्या, अनृत; १-१३६। पु. (मृषावादः) मिथ्या वचन, झूठे बोल; १-१३६ । पुं. (मयूखः) किरण, रश्मि, तेज, कान्ति, शोभा, १-१७१।
मुच्
मेत्तं
.मबछुटकारा, माछ,पेड़
मुच्छा मुञ्जायणो
मुट्ठी मुणसि
मुणन्ति अमुणन्ती मुणिआ. मुणालं मुणिन्दो मुण्ढा मुत्ताहलं मुत्ती मुत्तो
मुच्चइ सक. (मुंचति) वह छोड़ता है; २-२०६। मेरा मोत्तुं सं कृ. (मुक्त्वा ) छोड़ करके, २-१४६। मेहला मुत्तो वि (मुक्तः ) छुटा हुआ; २-२। मुक्का, पम्मुक्क, पमुक्कं वि (प्रमुक्तम्) छुटा मेहा हुआ; २-९७।
मेहो स्त्री (मूर्छा) मोह, बेहोशी, आसक्ति; २-९०।। मोक्खं पुं. (मोजायनः) ऋषि विशेष; १-१६०।
मोग्गरो पुं.स्त्री. (मुष्टि:) मुट्टी, मूठी, मुक्का ; २-३४। सक. (जानासि) तूं मानता है; २-२०९। मोण्डं सक (जानन्ति) वे जानते हैं; २-२०४। मोत्तं वि क (अजानन्ती) नहीं जानती हुई। मोत्था वि (ज्ञाता) जानी हुई; जान ली गई; २-१९९।। न. (मुणालम्) पद्म, कमल; १-१३१। मोरउल्ला पुं. (मुनीन्द्रः) मुनियों के आचार्य; १-८४। मोरो पुं. (मुर्भा) मस्तक, सिर; १-२६, २-४१॥ मोल्लं न (मुक्ताफलम्) मोती; १-२३६।
मोसा स्त्री (मूर्तिः) रूप, आकार, काठिन्य; २-३०।। मोसावाओ वि (मूर्त:) आकृति वाला, कठिन, मूढ़, मोहो मूर्छायुक्त; २-३०। वि. (मुक्तः) छुटा हुआ; त्यक्त; मुक्ति-प्राप्त; २-२ वि. (मुग्ध) मोह-युक्त, सुन्दर, मनोहर, मूढ़; १-१६६। मुद्धाए स्त्री. (मुग्धया) मोहित हुई स्त्री से; १-५। वि (मुग्धम्) मूढ, सुन्दर, मोह-युक्त; २-७७। पुं. (मूर्धा) मूर्धा, मस्तक, सिर; २-४१। पुं. (मुरन्दले!) हे मुरन्दल; २-१९४|
मुत्तो
मुद्ध
अ. (च) हेतु-सूचक, संबंध-सूचक अव्यय, और २-१८४; ३-५७। यडं न (तटम्) किनारा; १-४। जामि अक. (यामि) मैं जाता हूं; २-२०४।
मुद्धाइ, मुद्धं मुद्धा
मुरन्दले
अ (पाद पूरणे) श्लोक चरण की पूर्ति के अर्थ में प्रयुक्त किया जाने वाला अव्यय विशेष; २-११७)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org