________________
परिशिष्ट-भाग : 407
मत्ते
मन्
मन्तू
माईणं
मण्डुक्को पुं. (मण्डूकः) मेंढक, दादुर; २-९८।
महिवालो न. (मात्रे) मात्र में; १-१०२।।
महुअं
महुरव्व मन्ने सक (मन्ये) मैं मानता हूं; १-१७१। महुलट्ठी माणिओ वि (मानितः) माना हुआ, सन्मान किया हुआ; २-१८०।
महूअं पुं (मन्युः) क्रोध, अहंकार, अफसोस: २-४४ महेला मन्दरयड पुं (मन्दर तट) मेरू पर्वत का तट किनारा २-१७४। मा मन्नू पुं. (मन्युः ) क्रोध, अहंकार, अफसोस; २-२५, माई ४४
माइहरं मन्ने सक (मन्ये) मैं मानता हूं;१-१७१। मम्मणं न (मन्मनम्) अव्यक्त वचन; २-६१।। माउअं मम्मो पुं. (मर्म) रहस्यपूर्ण गुप्त बात; जीवन स्थान, माउआ
सन्धि ; १-३२। मयगलो वि (मदकल:) मद के उत्कट, नशे में चूर; माउओ
१-१८२। मयंको
पु. (मृगांक) चन्द्रमा; १-१३०, १७७, १८०। मोउक्कं मयच्छि स्त्री (मृगाक्षी) हरिण के नैत्रों जैसी सुन्दर नेत्रों माउच्छा
वाली स्त्री २-१९३। मयणो पुं (मदना) कन्दर्प,कामदेव; १-१७७, १८०, २२८। माउत्तणं मयर-द्वय पु. (मकर-ध्वज) कन्दर्प, कामदेव; १-७। माउमण्डलं मरगय
पुं. (मरकत) नीलवर्ण वाला रत्न-विशेष; पन्ना; माउलुंग २-१११।
माउसिआ मरगयं न. (मरकतम्) नीलवर्ण वाला रत्न विशेष; १-१८२।
माउहरं मरणा वि (मरणा) मृत्यु धर्म वाले; १-१०३।
माणइ मरहट्टो पु. (महाराष्ट्र:) प्रान्त विशेष; मराठा वाड़ा; १-६९।
न. (महाराष्टम्) प्रान्त विशेष; मराठा वाडा; । माणइत्तो १-६९; २-१११॥
माणंसी मलय पुं. (मलय) पर्वत विशेष; मलयाचल; २..९७।। माणसिणी मलिअ वि. (मृदित) मसला हुआ; १-७॥
माणस्स मलिणं मलिनं वि (मलिनम्) मैला, मल युक्त; २-१३८।। माणिओ मल्ल
न (माल्यम्) स्निग्ध, कोमल, सुकुमाल, मामि
चिकना; १-१३०। मसाणं न (श्मशानम्) मसाण, मरघट; २-८६। मसिणं वि (मसृणम्) स्निग्ध, चिकना, कोमल, मायन्दो
सुकुमाल; १-१३०॥ पु.न. (श्मश्रुः) दाढ़ी-मूंछ; २-८६।
माला महइ महए सक. (कांक्षति) वह इच्छा करता है; १-५।। मालस्स महण्णव पुं. (महार्णव) महासमुद्रः १-२६९।
मास महन्तो वि (महान्) अत्यन्त बड़ा; २-१७४।
मासलं महपिउल्लओ वि (महापितृकः) पितामह से संबंधित; २-१६४। महपुण्डरिए पुं. (महापुण्डरीक:) ग्रह विशेष; २-१२० । माहप्पो महमहिअ वि (महमहित) फैला हुआ; १-४६।
मोहप्पं महा-पसु पुं. (महापशु) बड़े पशु; १-८।
माहुलिंग महिमा पुं स्त्री. (महिमा) महत्व, महानता; १-३५। माहो महिला स्त्री (महिला) स्त्रा, नारा; १-१०६ महिवटुं
न. (मही-पृष्ठम्) पृथ्वी का तल; १-११९। मिअङ्को
पुं. (मही-पालः) राजा; १-२३१ । न (मधूकम्) महुआ का फल; १-१२२॥ अ. (मथुरावत्) मथुरा नगरी के समान; २-१५०। स्त्री (मधु-यष्टिः) औषधि-विशेष इक्षु, ईख; १-२४७। न (मधूकम्) महुआ का फल; १-१२२ । स्त्री (महिला) स्त्री नारी; १-१४६। अ. (मा) मत, नहीं; २-२०१। अ. (मा) मत, नहीं; २-१९१। न. (मातृ-गृहम्) माता का घर; १-१३५। स्त्री. (मातृणाम्) माताओं का, की, के; १-१३५ / वि (मृदुकम्) कोमल, सुकुमाल; २-९९ । स्त्री. (मातृका) माता संबंधी; स्वर आदि मूल वर्ण; १-१३१॥ वि (मातृक:) माता संबंधी; स्वर आदि मल वर्ण; १-१३१॥ न (मृदुत्वम्) कोमलता; १-१२७; २-२, ९९। स्त्री. (मातृष्वसा) माता की बहिन, मौसी; २-१४२। न (मृदुत्वम्) कोमलता; २-२॥ न. (मातृ-मण्डलम्) माताओं का समूह; १-१३४ | न. (मातुलिंगम्) बीजोरे का फल; १-१२४ । स्त्री. (मातृष्वसा) माता की बहिन; मौसी; १-१३४;२-१४२। न (मातृगृहम्) माता का घर; १-१३४, १३५। सक (मानयति) वह सन्मान करता है, अनुभव करता है; १-२२८। पुं. (मानवान्) इज्जत वाला; २-१५९। पु. (मनस्वी) अच्छे मन वाला, १-४४। स्त्री (मनस्विनी) अच्छे मन वाली; १-४४। पुन (मानाय) मान के लिये; २-१५। वि (मानितः) सन्मान किया हुआ; २-१८। अ (सखि-आमन्त्रण-अर्थक) सहेली को बुलाने के अर्थ में प्रयुक्त किया जाने वाला अव्यय विशेष; २-१९५। देशज पु. (माकन्दः) आम्र , आम का पेड़; २-१७४। स्त्री (माला) माला; २-१८२। वि (मालस्य) माला वाले का; १-४। न (मासम्) माँस, गोश्त; १-२९; ७०। वि न (मांसलम्) पीन, पुष्ट, उपचित; १-२९/ पुं. न. (श्मश्रुः) दाढ़ी-मूंछ; २-८६ । पुं. (माहात्मयम्) बड़प्पन; १-३३। पुं. (माहात्म्यम्) बड़प्पन; १-३३। न (मातुलिंगम्) बीजोरे का फल; १-२१४ । पु. (माघः) कवि विशेष; एक महीने का नाम; १-१८७) पुं. (मृगांक:) चन्द्रमा; १-२३०।
मरहट्ठ
मस्सू
मासू
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org