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परिशिष्ट-भाग : 397
दुवारं
दोला
दुविहो दुसहो
दुस्सहो
द्रहम्भि
दुहाइअं
दुहिओ दूसहो
धत्थो
दुहिओ
न (द्वारम्) दरवाजा; २-११२। दुवारिओ पु (दीवारिकाः) द्वारपाल; १-१६०।। दुवालसंग आर्ष न (द्वादशांगे) बारह जैन आगम ग्रन्थों में; दोवयणं
१-२५४। वि (द्विविधः) दो प्रकार का; १-९४।
दोहलो वि (दुस्सहः) जो कठिनाई से सहन किया जा सके। १-११५/
दोहा वि (दुस्सहः) जो दुख पूर्वक सहन किया जा सके; दोहाइअं
१-१३,११५/ दुहवो-दुहओ वि (दुर्भगः) खोटे भाग्य वाला, अभागा, अप्रिय, द्रहो
अनिष्ठ, १-११५, १९२। न (दुःखम्) दुःख, कष्ट, पीड़ा; २७२। अ (द्विधा) दो प्रकार का; १-९७। वि (द्विधाकृतम्) दो प्रकार से किया हुआ; १-९७, धओ १२६।
धट्ठज्जुणो दुहिअए वि( दुःखितके) पीड़ित में, दुःखयुक्त में; २-१६४। धट्ठो दुहिआ
स्त्री (दुहिता) लड़की की पुत्री; २-१२६/ धणंजओ वि (दुखितः) पीड़ित, दुखी; १-१३।
धणमणो पु वि (दुस्सहः) जो दुःख से सहन किया जाय; धणी १-१३, ११५।
धणुहं दूसासणो पू (दुश्शासनः) कौरवो का भाई; १-४३।
धण दुहवो वि (दुर्भगः) अभागा; अप्रिय; अनिष्ठ; १-११५, धत्ती
१९२। वि (दुःखित) दु:खयुक्त; १-१३।
धन्ना अ (संमुखी करणे निपातः) सम्मुख करने के अर्थ में अथवा सखी के आमन्त्रण अर्थ में प्रयोक्तव्य धम्मिल्लं
अव्यय; २-१९६। देअरो पु (देवरः) देवर, पति का छोटा भाई; १-१८०। धरणीहर देउलं न (देव कुलम्) देव कुल; १-२७१ ।
धरिओ सक. (ददन्ते) वे देते है; २-२०४।
न (द्वारम्) दरवाजा; १-७९; २-११२। देव पु (देव) देव, परमेश्वर, देवाधिदेव; १-७९। देवउलं न (देव कुलम्) देव कुल; १-२७१ देवत्थुई, देवथुई स्त्री, (देव-स्तुतिः) देव का गुणानुवाद;
२-९७ देवदत्तो पु (देवदत्तः) देवदत्त; १-४६।
पु (देव) दे; १-२६। देवाई न (देवाः) देव-वर्ग; १-३४।
धारा पु (देवाः ) देव-वर्ग; १-३४।
धारी देवाणि न (देवाः ) देव-वर्ग; १-३४।
धाह देवनाग सुवण्ण न (देवनाग सुवर्ण) वस्तु-विशेष का नाम;
१-२६। देवरो पु (देवरः) पति का छोटा भाई; १-१४६। धिज्जं देवासुरी वि (देवासुरी) देवता और राक्षस सम्बन्धी; १-७९। धिट्रो पु (देव) देवता; १-१७७।
धिधि न (देवम्) भाग्य, प्रारब्ध, देव, पूर्व कृत कर्म; १-१५३।
धिप्पई देसित्ता सक (देशयित्वा) कह करके; उपदेश देकर; धिरत्थ
१-८८) स्त्री (दोला) झूला, हिंडोला; १-२१७। न (द्विवचनम्) दो का बोधक व्याकरण प्रसिद्ध प्रत्ययः१-९४। पु (दोहदः) गर्भिणी स्त्री का मनोरथ: १-२१७, २२१) अ (द्विवा) दो प्रकार (वाला) १-९७। वि (द्विघा कृतः) जिसका दो खण्ड किया गया हो वह; १-९७। पु (द्रहः) बड़ा जलाशय, झील, सरोवर, द्रह; २-८०। पु (द्रह) बड़े जलाशय में, झील में; २-८७।
(ध) पु (ध्वजः) ध्वजा, पताका; २-२२७/ पु (धृष्टद्युम्नः) राजा द्रुपद का एक पुत्र; २-९४॥ वि (धृष्टः) घीठ, प्रगल्भ, निर्लज्ज, १-१३०॥ पु (धनंजयः) धनंजय, अर्जुन; १-१७७; २-१८५/ धणवन्तो वि (धनवान्) धनी, धनवान्, २-१५९। वि (धनी) धनिक, धनवान्; २-१५९। न (धनुः) धनुष्; १-२२। पुन (धनुः) धनुष्; १-२२। स्त्री (धात्री) घाय-माता, उपमाता; २-८१। वि (ध्वस्तः) धवंस को प्राप्त; नष्ट; २-७९ । स्त्री (धन्या) एक स्त्री का नाम, धन्य-स्त्री; २-१८४। धम्मेल्लं न (धम्मिल्लम्) संयत केश; बंधा हुआ केश; १-८५। पु (धरणी धर) पर्वत, पहाड़; २-१६४। वि (धृत) धारण किया हुआ; १-३९॥ अक़ (धाव्) दौड़ना सक (घा) धारण करना। "नि" उपसर्ग के साथ में। निहित्ता वि (निहितः) धारण किया हुआ; २-९६। निहिओ वि (निहितः) धारण किया हुआ; २-१९॥ "श्रद्" के साथ में। सहि वि (श्रद्वितम्) जिस पर श्रद्धा की गई हो वह; १-१२। स्त्री (धात) धाई, उपमाता; २-८१। स्त्री (धारा) धार, नोक, अणी; १-७, १४५/ स्त्री (धात्री) धाई, उपमाता; २-८१ । देशज स्त्री (?) एक प्रकार की पुकार, चिल्लाहट; २-१९२। स्त्री (धृतिः) धैर्य, धीरज; १-१२८; २-१३१॥ न (धैर्यम्) धैर्य, धीरज: २-६४। वि (धृष्टः) धीठ, प्रगल्म, निर्लज्ज; १-१३०१ देशज़ अ (धिक् धिक्) धिक् धिक्, छी छी; २-१७४। अक (दीप्यते) चमकता है, जलता है; १-२२३। अ (धिगस्तु) धिक्कार हो; २-१७४।
देन्ति
धा
देवं
धाई
देवा
धिई
देवो
देव्वं
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