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________________ 396 : प्राकृत व्याकरण दह दहबलो दहमुहो दहरहो हि दहिसरो दहीसरो दहो दा दाघो दाडिमं दाढा दाणवो दाणिं दामं दारं दालिद्द दामिमं दावग्गी दासो दाहिणो दाहो दिओ दिअर दिअरो दिग्घो दिट्ठ दिट्टि दिट्टिआ दिट्ठिक्क दिएणं दिप्पइ दिरओ दिवसो दिवहो दिसा दिहा दिही वि (दश) दश; १ - २६२ / पुं. (दश बलः) भगवान् बुद्ध; १-२६२ । पु. ( दश मुखः) रावण; १-२६२ । पु. (दशरथ) एक राजा १-२६२। न. ( दधि) दही; २-५॥ पु (दधीश्वरः) दही का स्वामी; १-५१ पु (दधीश्वरः) दही का स्वामी; १-५॥ पु (द्रहः) बड़ा, जलाशय, झील, सरोवर, हृदः २-८०१२०१ (धातु) देने अर्थ में २- १०६ देमि सक (दर्द) में देता हूँ: २ १०६ । देइ स ( ददते) वह देता है २ २०६। दत्तो वि (दत्त) दिया हुआ; १-४६। दिण्णं वि (दत्तम् ) दिया हुआ; १-४६ २-४३१ पु (दाह) ताप, जलन्, दहन, गरमी १-२६४१ नं. (दाडिमम्) फल- विशेष, अनार, १ २०२ ॥ स्त्री (दृष्ट्रा) बड़ा दांत, दांत विशेष २ १३९ / पु (दानव) दैत्य, असुर, दनुज १-१७७१ * दाणि अ (इदानीम्:) इस समय, अभी; १ - २९। न (दामः) माला; रस्सी विशेष; १-३२ । न (द्वारं) दरवाजा; १-७९; २- ७९, ११२ । न (दारिद्रयम्) निर्धनता, दीनता; १ - २५४ । न (दाडिमम् ) फल- विशेष अनार १ २०२ । पु ( दवाग्निः) जंगल की अग्नि १६७। पु (दासः) नौकर; २ - २०६ । वि (दक्षिण) चतुर अथवा दाहिना; दक्षिण दिशा में रहा हुआ; १४५ २७२॥ पु (दाह) ताप, जलन, गरमी, रोग विशेष: १-२१७। पु (द्विजः) ब्राह्मण आदि १ - ९४; २- ७९ । पु (देवर) पति का छोटा भाई २ २०५ पु (देवर) पति का छोटा भाई १-४६ । (वि) (दीर्घ) ऊंचा, लंबा; २ - ९१ । वि (दृष्टम् ) देखा हुआ; १- ४२, १२८ । स्त्री. (दृष्टिः) नजर, देखने रूप संज्ञा; १- १२८ १-३४। अ ( दिष्टया) मंगल सूचक अव्यय विशेष; २- १०४। वि (इष्टेक) देखा है एक १-८४ । वि (दत्तम्) दिया हुआ; १४६ २-४३॥ अंक. (दीच्यते) वह चमकता है, तेज होता है, जलता है १-२२३। पु. ( द्विरदः) हस्ती, हाथी, दो दांत वाला; १-१४। पु ( दिवसः) दिन; १ - २६३ । पु (दिवस) दिन, दिवस; १ - २६३ । स्त्री. (दिक) दिशा; १ - १९ । अ (द्विधा) दो प्रकार १- ९७| स्त्री (घृतिः) धैर्य, धीरज १- २०९; २- १३१ । Jain Education International दीप् दीहरं दीहाउसो दीहाउ दीहो दीहं दुअल्लं दुआई दुआरं दुइओ दुइओ दुठणो दुऊलं दुक्कडं दुक्करं दुक्करयारय दुक्खं दुक्खओ दुक्खिआ दुगुल्लं दुग्गाएवी दुग्गावी दुद्ध दुमत्तो दुरवगाहं दुरूत्तरं दुरेहो दुवणं For Private & Personal Use Only (धातु) प्रकाशित होना। दिप्पई अक ( दीप्यते) चमकता है, तेज होता है; १- २२३। 'प्र' उपसर्ग के साथ पलीवेइ अक (प्रदीप्यते) वह विशेष रूप से चमकता है; १ - २२१ । पलिविअं वि (प्रदीपितम् ) विशेष रूप से चमक वाला ; १-१०१ । पलितं वि (प्रदीप्तम्) ज्वलितः प्रज्वलित १-२२१४ वि (दीर्घम् ) लम्बा, २-१७१४ वि पु (दीर्घायु) लम्बी उम्र वाला; चिरंजीवी १-२०१ विपु (दीर्घायुः) बड़ी आयु वाला; १२०॥ वि (दीर्घ) लम्बा, आयतः २ ९९। वि (दीर्घम् ) लम्बा २-१७१ । न (दुकलम् ) वस्त्र महिन कपड़ा : १ ११९ । पु (द्विजाति) ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य १ ९४ २-७९। म द्वारम्) दरवाजा १-७९। वि (द्वितीय) दूसरा १-९४, १०१। दुइअ वि. (द्वितीय) दूसरा १-१०१। वि ( द्विगुणः) दुगुना दुना १९४३ न (दुकूलम्) वस्त्र, महिन कपड़ा; ११९॥ न (दुष्कृतम्) पाप-कर्म, निन्द्य आचरणः १- २०६ । वि (दुष्करम्) जो दुख से किया जा सके; कष्ट साध्य:-२-२०४ | वि (दुष्कर कारक) मुश्किल कार्य को करने वाला; २- २०४। न ( दुखम् ) कष्ट, पीड़ा, क्लेश, २- ७२, ७७। दुक्खे न (दुःखे) दुख में २- ७२। दुक्खा पु (दुखः) नानाविध कष्ट १-३३॥ दुखाई न दुःखानि) अनेक प्रकार के संकट; १-३३। वि (दुःखित) पीड़ित, दुःखित, १-१३। वि (दुखित) दुखयुक्त; २ ७२॥ आर्ष: (दुकूलम् ) वस्त्र, महिन कपड़ा; १ - ११९ । स्त्री (दुर्गा देवी) पार्वती, देवी विशेष १-२७० । स्त्री ( दुर्गादेवी) गौरी पार्वती देवी विशेष १-२७०। न (दुग्धम् ) दूध, खीर, २- ७७, ८९ । वि (द्विमात्र) दो मात्रा वाला स्वर वर्ण १- ९४। न (दुरवगाहम्) स्नान करने में कठिनाई वाला स्थान; १ - १४ । न (दुरूत्तरम्) अनिष्ठ उत्तर; उतरने में अशक्यः १-१४। पुं (द्विरेफः ) भ्रमर, भँवरा १-१४। न द्विवचनम् ) दो का बोधक व्याकरण प्रसिद्ध प्रत्यय; १- ९४ । www.jainelibrary.org
SR No.001942
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2006
Total Pages454
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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