________________
परिशिष्ट-भाग : 395
तेद्दहं तेरह तेलोक्कं
तेल्ल
तेल्ल
ते लोक्कं तेवण्णा तेवीसा
१-१६५। वि (तावत्) उतना; २-१५७/
दइच्चो संख्या वाचक वि. (त्रयोदश) तेरह; १-१६५, २६२। दइन्नं न (त्रैलोक्यम्) तीन जगत्, स्वर्ग, मर्त्य और
ग, मत्य और दइवअं पाताल लोक १-१४८; २-९७१
दइवज्जो न (तैल) तेल; १-२००। तेल्लंन (तैलम्) तेल; २-९८,१५५/
दइवण्णू न (त्रैलोक्यम्) तीन जगत; २-९७।
दइवं वि (त्रिपंचाशत्) त्रेपन; २-१७४।
दंसणं वि (त्रयोविंशतिः) तेबीस; १ १६५। न (तूणं) इशुधि, भाथा, तरकस; १-१२४। । दक्खिणो न (तूणीरम्) शरधि, भाथा, तरकस; १-१२४। न (तुण्डम्) मुख, मुँह; १-११६।
दच्छो अ. (इति) समाप्ति, एवम्, इस प्रकार; १-४२ १;
दर्छ २-१९३।
तोणं
तोणीरं तोण्ड
त्ति
(थ)
दड्डो
थण थणहरो थम्भिज्जइ
थम्भो थवो थाणुणो थिण्णं
थी
दयाल
पुं. (दैत्यः) दानव, असूर; १-१५१। न (दैन्यम्) दीनता, गरीबपन; १-१५१ । न. (दैवतम्) देवतापन; १-१५१। पु (दैवज्ञः) ज्योतिषी; ज्योतिष शास्त्र का विद्वान; २-८३॥ पुं. (दैवज्ञः) ज्योतिषी; २-८३। नं. (दैवम्) दैव, भाग्य; १-१५३; २-९९। नं (दर्शनम्) सम्यक्त्व दर्शन, श्रद्धा. १-२६ ; २-१०५। वि पु (दक्षिणः) चतुर अथवा दाहिना, दक्षिण दिशा में रहा हुआ; १-४५; २-७२। वि. (दक्षः) निपुण, चतुर; २-१७। . हे. कृ. (दृष्टुम्) देखने के लिये; २-१४६। वि (दष्टः) जिसको दांत से काटा गया हो वह; १-२१७१ वि (दग्धः ) जला हुआ; १-२१७, २-४०। पुं. (दनुज वधः) दैत्य-घात, दानव-हत्या; १-२६७। पुं. (दनुजेन्द्रः) राक्षसों का राजा; १-६। पुं. (दनुज वध) दैत्य-घात, दानव-हत्या १-२६७। दण्डो पुं. (दण्डः) दांडी, लकड़ी; १-७। पुं वि (दर्पवान्) घमंडी, अहंकारी; २-१५९। पुं. (दर्भः) तृण-विशेष; डाभ, कुश; १-२१७! पुं. (दम्भः ) माया, कपट; १-२१७। पु. (दयालु :) दया वाला, करूण, दयालु; १-१७७,१८०२-१५९। अ. (ईषदर्थ च) ईषत्, थोड़ा, अल्प; १-२१७; २-२२५। पुं. (दरः) भय डर; १-२१७) वि (हप्त) गर्विष्ठ, अभिमानी; १-१४४; २-९६। वि. (हप्तः) अभिमानी, अहंकारी; १-१४४। न. (दर्शनम्) अवलोकन; श्रद्धा; २-१०५/ सक (दलयन्ति) वे टुकड़े करते हैं; २-२०४। वि (दलितः) विकसित; १-२१७/ अक (दरिद्राति) दरिद्र होता है; १-२५४। वि (दरिद्रः) निर्धन, दीन; १-२५४ । पुं. (दवाग्निः ) जंगल की अग्नि; १-६७। पु. (दबः) जंगल की अग्नि; वन की अग्नि; १-१७७। वि. (दश) दश; १-२१९, २६०, २६२। पुं. (दशन) दांत; १-१४६। न (दशन) दांत से काटना; १-२१७/
(दराबलः) भगवान बुद्ध; १-२६२। (दशमुखः) रावण; १-२६२।
(दशरथः) एक राजा; १-२६२। पुं. (दशाह :) समुद्र विजय आदि दस यादव; २-८५/ वि (दग्धः) जला हुआ; २-४०।
थीणं
दरो
पुं (स्तन) थन, कुच, पयोधर; १-८४। पुं. (स्तन-भरः) स्तन का बोझ; १-१८७। दणुअवहो अक. (स्तम्भ्यते) उससे स्तम्भ समान हुआ जाता
दणुइन्द है; २-९।
दणुवहो पुं. (स्तम्भः) खम्भा, थम्भा; २-८-९।
दण्ड, पुं. (स्तवः) स्तुति, स्तवन, गुण-कीर्तन; २-४६। दप्पुल्लो पुं (स्थाणोः) महादेव का, शिव का; २-७। दब्भो वि. (स्त्यानम्) कठिन, जमा हुआ;१-७४; २-९९। दम्भो स्त्री (स्त्री) स्त्री, महिला, नारी; २-१३०। वि. (स्त्यानम्) कठिन, जमा हुआ; १-७४, २-३३, ९९। स्त्री (स्तुतिः) स्तवन, गुण-कीर्तन; २-४५। वि. (स्थूलः) मोटा; २-९९। वि (स्तावकः) स्तुति करने वाला; १-७५ । दरिअ अ (कुत्सायां निपातः) घृणा योग्य अथवा निंदा दरिओ योग्य के लिये प्रयुक्त किया जाने वाला अव्यय; दरिसणं २-२००।
दलन्ति पुं. (स्तेनः) चोर, तस्कर; १-१४७॥
दलिओ स्त्री (स्थूणा) खम्भा, खूटी; १-१२५। दलिद्दाइ पु. (स्थूल भद्रः) स्थूल भद्र नामक जेन महा दलिद्दो अणगार; १-२५५।
दवग्गी पुं. (स्तेनः) चोर, तस्कर; १-१४७।
दवो न (स्थैर्यम्) स्थिरता; २-१०७। वि. (स्थविर) वृद्ध, स्थविर; १-१६६; २-८९। दस वि (स्तोकम्) अल्प, थोड़ा; २-१२५।
दसण वि (स्तोकम्) अल्प, थोड़ा;२-४५, १२५ । दसणं वि. (स्तोकम्) अल्प, थोड़ा; २-१२५ । दसबलो स्त्री. (स्थूणा) खम्भा, खूटी; १-१२५। दसमुहो न. (स्त्रोत्रम्) स्तुति, स्तवन; २-४५।
दसरहो वि. (स्थूलः) मोटा; २-९९)
दसारो वि. (स्थूलम्) मोटा; १-१२४, २१५/ वि. (स्तोकम्) अल्प, थोड़ा; २-१२५/ दड्डो
थुल्लो थुवओ
थूणो थूणा थूल-भद्दो
थेणो थेरि थेरो थेवं थोअं थोक्कं थोणा थोत्तं
64.64.4..
थोरो
थोरं
थोवं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org