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________________ ( XXXI ) - Raman ५३४ ५४८ ५४९ ५४९ ५५१ काथपाकविधि ५३३ कटीकतरुण ५४७ स्नेहपाकविधि कुकुंदुर, नितंब, पार्श्वसंधि स्नेहपाकका त्रिविधभेद ५३४ मर्मवर्णन . ५४७ मृदचिक्कणखरचिक्कणपाकलक्षण ५३४ बृहती, असफलकमर्मलक्षण ५४७ स्नेह आदिकोंके सेवनका प्रमाण ५३५ क्रकन्या असमर्मलक्षण रसोंके त्रैसठभेद ५३५ ऊर्वजत्रुगतमर्मवर्णन ५४८ अयोगातियोगसुयोगलक्षण ५३७ कृकाटिकाविधुरमर्मलक्षण ५४९ फण अपांगमर्मलक्षण रिष्टवर्णनप्रतिज्ञा शंख, आवर्त, उत्क्षेपक, स्थपनी रिष्टसे मरणका निर्णय ५३७ सीमंतमर्मलक्षण मरणसूचकस्वप्न ५३८ शृंगाटक अधिमर्मलक्षण ५५० विशिष्टरोगोंमें विशिष्टस्वप्न व संपूर्णमौके पंचभेद ५५० निष्फलस्वप्न ५३९ सद्यप्राणहर व कालांतर दुष्टस्वप्नोंके फल ५३९ प्राणहरमर्म शुभस्वप्न ५४० विशल्यनवैकल्यकर व रुजाकर अन्यप्रकारके भरिष्टलक्षण ५४० मर्म अन्यरिष्ट ५४१ मौकी संख्या ५५२ रिष्टलक्षणका उपसंहार और मर्मवर्णनका उपसंहार ५५३ __ मर्मवर्णनप्रतिज्ञा ५४३ उग्रादित्याचार्यका गुरुपरिचय ५५४ शाखागतमर्मवर्णन ५४३ अष्टांगोंके प्रतिपादक पृथक् २ आचार्योके शुभनाम क्षिप्र व तलहृदयमर्म अष्टांगके प्रतिपादक स्वामी कूर्चकूर्चशिरगुल्फमर्म ५४४ समंतभद्र ५५५ इंद्रबस्तिजानुमर्म प्रन्थनिर्माणका स्थान ५५५ आणि व ऊवीमर्म ग्रंथकर्ताका उद्देश ५५५ रोहिताक्षमर्म ५४५ मुनियोंको आयुर्वेदशास्त्रकी विटपमर्म ५४५ गुदबस्तिनाभिमभवर्णन आवश्यकता ५५६ ५४५ हृदय, स्तनमूल, स्तनरोहितमर्म आरोग्यकी आवश्यकता ५५६ लक्षण शुभकामना ५५७ कपाले, अपस्तंभमर्मलक्षण ५४६ । अतिमकथन m00 ५४४ ५४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001938
Book TitleKalyankarak
Original Sutra AuthorUgradityacharya
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovind Raoji Doshi Solapur
Publication Year1940
Total Pages908
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ayurveda, L000, & L030
File Size18 MB
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