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सर्पषिमें मंत्रकी प्रधानता ५०९ विषापकर्षणार्थ रक्तमोक्षण रक्तमोक्षणका फल दवाकरसोंके सप्तवेगोमें
पृथक् २ चिकित्सा ५१० मंडली व राजीमंतसोके सप्तवेगोंकी
पृथक २ चिकित्सा ५१० दिग्धविद्धलक्षण विषयुक्तव्रणलक्षण विषसंयुक्तवणचिकित्सा सर्पविषारिअगद सर्वविषारिभगद द्वितीयसविषारिअगद तृतीयसविषारिअगद
५१३ संजीवन अगद
५१४ श्वेतादि अगद मंडलिविषनाशक अगद वाचादिसे निर्विषीकरण ५१५ सर्पके काटे विना विषकी अप्रवृत्ति ५१५ विषगुण विषपीतलक्षण सर्पदष्टके असाध्यलक्षण हिंस्रकप्राणिजन्यविषका
। असाध्यक्षण • मूषिकाविषलक्षण मूषिका विषचिकित्सा मूषिकाविषघ्नघृत
५२० कीटविषवर्णन
५२० कीटदष्टलक्षण कोटभक्षणजन्यविषचिकित्सा
or or or or or mamoror
سه سر سه
क्षारागद
५२१ सर्वविषनाशक अगद
५२२ विषरहितका लक्षण व उपचार ५२३ विषमें पथ्यापथ्य आहारविहार ५२३ दुःसाध्यविषचिकित्सा अंतिमकथन
५२४ अथ विंशः परिच्छेदः । मंगलाचरण सप्तधातुओंकी उत्पत्ति ५२५ रोगके कारण लक्षणाधिष्ठान ५२५ साठप्रकारके उपक्रम व चतुर्विधर्म५२६ स्नेहनादिकर्मकृतमयोको पथ्यापथ्य ५२७ अग्निवृद्धिकारक उपाय
५२८ अग्निवर्धनार्थजलादिसेवा ५२८
भोजनके बारह भेद ५२९ शीत व उष्णलक्षण
५२९ स्निग्ध, रूक्ष, भोजन __ ५२९ द्रव, शुष्क, एककाल, द्विकाल
___ भोजन ५३० भैषजकर्मादिवर्णनप्रतिज्ञा पंचदश औषधकर्म ५३१ .. दश औषधकाल ५३१ निर्भक, प्राग्भक्त, ऊर्धभक्त व
__ मध्यभकलक्षण ५३१ अन्तरभक्तसभक्तलक्षण ५३२ सामुद्गमुहुर्मुहुलक्षण
५३२ ग्रासमासांतरलक्षण
५३३ स्नेहपाकादिवर्णनप्रतिज्ञा .५३३
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