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________________ अथैकविंशः परिच्छेदः । उत्तरतंत्र मंगलाचरण लघुताप्रदर्शन शास्त्रकी परंपरा चतुर्विधकर्म चतुर्विधकर्मजन्य आपत्ति प्रतिज्ञा अथ क्षाराधिकारः क्षारका प्रधानत्व व निरुक्ति क्षारका भेद क्षारका सम्यग्दग्ध लक्षण व पश्चात् क्रिया क्षारगुण व क्षारवर्ण्यरोगी क्षारका श्रेष्ठत्व, प्रतिसारणीय व पानीयक्षारप्रयोग अग्निकर्मवर्णन क्षारकर्मसे अग्निकर्मका श्रेष्ठत्व, अग्निकर्मसे वर्ज्यस्थान व दद्दनोपकरण त्वग्दग्ध, मांसदग्धलक्षण दद्दनयोग्यस्थान, दहन साध्यरोग व दद्दनपश्चात् कर्म अग्निकर्मके अयोग्य मनुष्य अन्यथा दग्धका चतुर्भेद स्पृष्ट, सम्यग्दग्ध, दुर्दग्ध, अतिदग्धका लक्षण दुग्धत्रण चिकित्सा ( Xxxii ) Jain Education International ५५९ ५५९ ५५९ ५६० ५६१ ५६१ ५६२ ५६२ ५६२ ५६२ ५६५ अग्निकर्मवयकाल व उनका भेद ५६६ ५६६ ५६३ ५६३ ५६४ ५६५ ५६६ ५६७ ५६७ ५६८ ५६८ सम्यग्दग्धचिकित्सा दुर्दग्ध चिकित्सा अतिदग्ध चिकित्सा रोपण क्रिया सवर्णकरणविधान अनुशस्त्रवर्णन ५६९ ५६९ ५६९ ५७० ५७० ५७० रक्तस्राव के उपाय ५७१ जलौकस शब्दनिरुक्ति व उसके भेद ५७१ सविषजलौकोंके लक्षण ५७२ कृष्णाकर्बुरलक्षण ५७२ अलगर्दा, इंद्रायुधा, सामुद्रिका क्षण५७२ गोवंदनारक्षण व सविषजूलूकादष्ट लक्षण ५७३ ५७३ सविषजल कदष्ट चिकित्सा निर्विषजलोकोंके लक्षण ५७३ ५७३ ५७४ ५७४ ५७५ ५७५ ५७५ ५७६ ५७७ कपिला लक्षण पिंगलामूषिका शङ्कुमुखी लक्षण पुंडरीकमुखीसावरिकालक्षण जौकों के रहनेका स्थान जौं कपालन विधि प्रयोग रक्तचूसने के बाद करने की क्रिया शुद्ध रक्काहरण में प्रतिक्रिया शोणितस्तंभन विधि शोणितस्तंभनापरविधि अयोग्यजलायुका लक्षण शस्त्रकर्मव अष्टविधशस्त्रकमोंमें आनेवाले शस्त्र विभाग For Private & Personal Use Only ५७७ ५७७ ५७८ ५७८ ५७८ www.jainelibrary.org
SR No.001938
Book TitleKalyankarak
Original Sutra AuthorUgradityacharya
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovind Raoji Doshi Solapur
Publication Year1940
Total Pages908
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ayurveda, L000, & L030
File Size18 MB
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