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________________ कल्याणकारके भावार्थ:-तैल से भूना हुआ हरड, और कांस के चूर्ण ये दोनों समभाग, इन दोनों के बराबर लोहचर्ण, इतना ही नीलांजन [ तूतिया } इन सब को एकमेक कर मिलायें । भांगरा, मल्लिका [ मोतिया ] सहचर [ पीली कटसरैया ] कटसरैया, नील, हलदी इन के कल्क को उपरोक्त चूर्ण के बराबर लेकर उस में मिलावे । पश्चात् इस में तेल मिलाकर खरल में अच्छीतरह मर्दन करे एवं उसे अच्छे (मजबूत) लोहे के बरतन में डालकर छह महीना, तीन महाना, या एक महीना पर्यंत धान्यराशि में रखें । फिर उसे भिकाल कर उचित पूजा विधि व द्रव्य से पूजन कर के सफेद बालोंपर लेपन करे तो तत्काल ही केश कजल के समान काले होते हैं ॥ ९४ ॥ ९५ ॥ केशकृष्णीकरण श्यामादितेल. श्यामासेरेयकाणां सहचरियुतसत्कृष्णपिण्डीतकानाम् । पुष्पाण्यत्रापि पत्राण्यधिकतरमहानीलिकानीलिकानाम् ।। तन्धीं चाम्रार्जुनानां निचुलबदरसत्क्षारिणां च द्रुमाणां । संशोष्याचूर्ण्य चूर्ण समधृतमखिलं लोहचूर्णेन सार्धम् ॥ ९६ ॥ प्रोक्तैश्चूर्णैस्समानं सरसिजवरसत्स्थानपंकं समस्तं । नीलीभंगासमानां स्वरसविलुलित त्रैफलेनाम्भसा च ॥ लोह कुंभे निधाय स्थितमथ दशरात्रं ततस्तैः कषायैः । कल्कैस्तावद्विपच्यं तिलजमलिनिभा यावदा श्वतकेशाः ॥ ९७ ।। एतत्तैलं यथावन्निहितमतिघने लोहकुंभे तु मासं । तलिपच्छे त केशानलिकुलविलसन्नीलनीलांजनाभान् ॥ कुर्यात्सद्यस्समस्तान् अतिललितलसल्लाहकांतोरुव॒तान् । वत्र विन्यस्य यत्नादधिकतरमरं रंजयेत्तत्कपालम् ॥ ९८ ।। भावार्थ:- फूल नियंगू [?] कट सरैया पीली कटसरैया, काला भेनफल, इन के फूल, महानील और नील के पत्र, शालपर्णी, अमकी गुठली की निंगी, अर्जुन की छाल, समुद्रफल, बैर, क्षारी वृक्षों की छाल, और लोह चूर्ण इन सब को समभाग लेकर . चूर्ण करे । इन सब चूर्णों के बराबर कमल स्थान [ जहां कमल रहता है उस स्थान ] के कीचड को लेकर ( उस में ) मिलाये। और इसे, नील व भांगरा इन दोनों के समभाग स्वरस, व त्रिफला के काथ [ काढा ] से मर्दन कर एकमेक करके लोहे के घडे में भरकर [ मुंह बंद कर के ] दस रात रखें । इस प्रकार तैयार किया हुआ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001938
Book TitleKalyankarak
Original Sutra AuthorUgradityacharya
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovind Raoji Doshi Solapur
Publication Year1940
Total Pages908
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ayurveda, L000, & L030
File Size18 MB
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