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________________ (५९०) कल्याणकारके चावलों से बनाई हुई, गरम [ उष्ण ] यवाग् भी हितकर है अर्थात् ये दोनों उन के लिये पथ्य हैं ॥२०॥ ___स्वेदविधिवर्णनप्रतिज्ञा. स्नेहोद्भवामयगणानुपशम्य यत्नात्, स्वेदोद्भवामययुतं विधिरुच्यतेऽतः॥ स्वेदो नृणां हिततमो भुवि सर्वथेति, संयोजयत्यपि च तत्र भवति रोगाः॥ २१ ॥ भावार्थ:-- स्नेह के अतियोग आदि से उत्पन्न रोगों को उपशमन करनेवाली चिकित्सा को प्रयत्न पूर्वक कह कर, यहां से आगे स्वेदविधि व उस के बराबर प्रयुक्त न होने से उत्पन्न रोग व उन की चिकित्सा का वर्णन करेंगे। लोकमें रोगाक्रान्त मानवों के लिए, स्वेद प्रायः सर्वथा हितकर है। परन्तु उस की योजना यदि यथावत् न हो सकी तो उस से भी बहुत से रोग उत्पन्न होते हैं ॥२१॥ स्वेदका योग व अतियोगका फल. सम्यक्प्रयोगवशतो बहवो हि रोगाः शाम्यति योग इह चाप्यतियोगतो वा। नानाविधामयगणा प्रभवंति तस्मात् स्वेदावधारणमरं प्रतिवेद्यतेऽत्र॥२२॥ भावार्थ:- स्वेदनप्रयोग को यदि ठीक तरह से उपयोग किया जाय तो अनेक रोग उससे नष्ट होते हैं या शमन होते हैं। इसे ही योग कहते हैं। यदि उसका अतियोग हो जाय तो अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं । इसलिये स्वदेन योग की योग्य विधिको अब कहेंगे ॥ २२ ॥ स्वेदका भेद व ताप, उष्मस्वेदलक्षण. तापोष्मबंधनम हावभेदतस्तु स्वेदश्चतुर्विध इति प्रतिपादितोऽसौ । वस्त्राग्निपाणितलतापनमेव तापः सोष्णेष्टकोपलकुधान्यगणैस्तथोष्मा॥२३॥ भावार्थ:--वह स्वेद, तापस्वेद १ उप्मस्वेद २ बंधनस्वेद (उपनाहरवेद्र) ३ द्रवस्वेद ४ इस प्रकार चार भेद से विभक है । वस्त्र हथैली इत्यादि को गरम कर ( लेटे हुए मनुष्य के अंग को ) सेकने को या अंगार से सेकने को " तापस्वेद "" कहते हैं। इंट पत्थर कुधान्य इत्यादि को गरम करके उसपर कांनी आदि द्रव लिडककर, गाटे कपडे से ढके हुए रोगी के शरीर को सेकने को उमस्वेद कहते हैं ॥ २३ ॥ १ दूध, दही, कांजी या वायुनाशक औषधी के काथ को घर में माका, उमे गरम कर के उसकी बाफ से जो सेका जाता है इसे भी उन्मस्त्रेद कहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001938
Book TitleKalyankarak
Original Sutra AuthorUgradityacharya
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovind Raoji Doshi Solapur
Publication Year1940
Total Pages908
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ayurveda, L000, & L030
File Size18 MB
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