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________________ कर्मचिकित्साधिकारः । (५६७) नाड्यच्छिन्नसिरासु संधिषु तथा छिन्नेषु रक्तमवृ-। त्तौ सत्यां दहनक्रिया प्रकटिता नष्टाष्टकर्मारिभिः। सम्यग्दग्धमवेक्ष्य साधुनिपुणः कुर्याद्धृताभ्यंजनं । शीताहारविहारभेषजविधि विद्वान् विदध्यात्सदा ॥२२॥ भावार्थ:-शिरोरोग व अधिमथ रोगमें भूप्रदेश व शंखप्रदेशमें जलाना चाहिये । वर्मरोगमैं गीले कपडेसे आंख को ढककर वर्मस्थ रोमकूपोंसे लेकर दहन करें । अर्थात् रोमकूपों को जलाना चाहिये । त्वचा, मांस, सिरा आदि स्थानों में वात प्रकुपित होनेपर भयंकर, कठोर, व जिसमें मांस बढ गया हो ऐसे व्रण में, ग्रंथि, अर्बुद, चर्मकील, तिल कालक, अपची, नाडीव्रण इन रोगों में छेदित सिरा, संधि में, रक्तप्रवृत्ति में, अग्निकर्म का प्रयोग करना चाहिये ऐसा आठकर्मरूपी शत्रुवों को नाश करनेवाले भगवान् जिनेंद्र देवने कहा है । सम्यग्दग्ध के लक्षण को देखकर, विद्व न् चतुर वैद्य, दग्धव्रण में घी लगायें और रोगी को शीत आहार, शीत-हार व शीत औषधि का प्रयोग करें ॥२१॥ ॥ २२ ॥ __ अग्निकर्म के अयोग्य मनुष्य. वा धन्हिविधानतः प्रकृतिपित्तश्चातिभिन्नादरः । क्षीणोंतःपरिपूर्णशोणितयुतः श्रांतस्सशल्यश्च यः ॥ अस्वेद्याश्च नरा बहुव्रणाणैः संपीडिताश्चान्यथा । दग्धस्यापि चिकित्सतं प्रतिपदं वक्ष्यामि सल्लक्षणैः ॥२३॥ भावार्थ:-पित्तप्रकृतिवाले, भिन्नकोष्ठ, कृश, अंतःशोणितयुक्त, थके हुए, शल्य युक्त, अनेक व्रणसमूहों से पीडित और जो स्वेदन कर्म के लिये अयोग्य हैं ऐसे मनुष्य भी अग्निकर्म करने योग्य नहीं हैं। इसलिये उनपर अग्निकर्म का प्रयोग नहीं करना चाहिये। यहां से आगे वैद्य के न रहते हुए, प्रमाद से अकस्मत् जले हुए के लक्षण व चिकित्सा को प्रतिपादन करेगे ॥ २३ ॥ ___ अन्यथा दग्धका चतुर्भेद. स्पृष्टं चैव समं च दग्धमथवा दुर्दग्धमत्यंतद-। ग्धं चेत्तत्र चतुर्विधं भिहितं तेषां यथानुक्रमात् ॥ वक्ष्ये लक्षणमप्यनूनवर भैषज्यक्रियां चातुर । . स्याहारादिविधानमप्यनुमतं मान्यर्जिनद्रस्सदा ॥ २४ ॥ १, अन्यध्या इति पाठांतरं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001938
Book TitleKalyankarak
Original Sutra AuthorUgradityacharya
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovind Raoji Doshi Solapur
Publication Year1940
Total Pages908
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ayurveda, L000, & L030
File Size18 MB
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