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कल्याणकारक
उत्पन्न शास्त्रसमुद्र से निकली हुई बूंद के समान यह शास्त्र है । साथमें जगतका एक मात्र हितसाधक है [ इसलिये इसका नाम कल्याणकारक है ] ॥ ९४ ॥
इत्युग्रादित्याचार्यविरचिते कल्याणकारके चिकित्साधिकारे शास्त्रसंग्रह तंत्र युक्तिरिति नाम विंशः परिच्छेदः ।
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इत्युप्रादित्याचार्यकृत कल्याणकारक ग्रंथ के चिकित्साधिकार विद्यावाचस्पतीत्युपाधिविभूषित वर्धमान पार्श्वनाथ शास्त्री द्वारा लिखित भावार्थदीपिका टीका में शास्त्रसंग्रहतंत्रयुक्ति नामक बीसवां परिच्छेद समाप्त हुआ ।
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