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________________ कल्याणकारके लंघनादिह निवर्तयितुं तन्नैव शक्यमतिपाकिगुणत्वात् । क्लेशयत्यपि न शोधितमेतद्विश्वमाशु शमयद्विपमुग्रम् ॥ ४९ ।। भावार्थः-वह विष लघुगुण के कारण उसे शरीर से निकालने के लिये कोई चिकित्सा समर्थ नहीं होता है । अविपाकि गुण से युक्त होने से यदि उसका शोधन शीघ्र न करे तो वह अत्यधिक दुःख उत्पन्न करता है । यह सब तरह के विष अत्यंत भयंकर है । इसलिये इन को योग्य उपायों के द्वारा उपशमन करना चाहिये ॥४९॥ दूषीविषलक्षण. शीर्णजीर्णमनलाशनिपातात्यातपातिहिमवृष्टिविघृष्टम् । तद्विषं तरुणमुग्रविषघ्नैराहतं भवति दूषिविषाख्यम् ॥ ५० ॥ भावार्थ:-शीर्ण व जीर्ण [ अत्यंत पुराना ] होने से, आग से जल जाने से बिजली गिरजाने से, अत्यधिक धूपमें सूख जानेसे, अतिहिम [ बरफ ] व वर्षा पडमे से, व विषनाशक औषधियोके संयोग से जिस विषका गुण नष्टप्राय हो चुका हो अथवा (उपरोक्त कारण से दशगुणों में से कुछ गुण नाश हो चुका हो अथवा दशोगुण रहते हुए भी उनके शक्ति अत्यंत मंद हो गया हो ) जो तरुण [ पारपक्क ] हो उस विष को दूषीविष कहते हैं ॥ ५० ॥ दूषीविषजन्यलक्षण. छर्घरोचकतृषाज्वरदाह,श्वासकासविषमज्वर शोफो-। न्मादपन्यदतिसारमिदं दूषीविषं प्रकुरुते जठरंच ।। ५१ ॥ कार्यमन्यदथशोषमिहान्यद्वद्धिमन्यदधिकोद्धतनिद्राध्मानमन्यदपि तत्कुरुते शुक्लक्षयं बहुविधोग्रविकारान् ॥ ५२ ॥ भावार्थः-दूषीविष के उपयोग होकर जब वह प्रकोपावस्था को प्राप्त होता है तब वमन, अरोचकता, प्यास, ज्वर, दाह, श्वास, कास, विषमज्वर, सूजन, उन्माद ( पागलपना ) अतिसार व उदररोग [ जलोदर आदि ] को उत्पन्न करता है। अर्थात् दूषीविष के प्रकुपित होनेपर ये लक्षण ( उपद्रव ) प्रकट होते हैं। प्रकुपित कोई दूषी १ शरीर में रहा हुआ यह ( कम शक्तिवाला) विष विपरीत देशकाल व अन्नपानोंके संयोग से व दिन में सोना आदि विरुद्ध आचरणों से, प्रथम स्वयं बार २ होकर पश्चात् धातुओं को दूषित करता है ( अपने आप स्वतंत्र पसे धातुओं को दूषण करने की शक्ति इस के अंदर नहीं रहता है) अत इसे "दूषीविष" कहा है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001938
Book TitleKalyankarak
Original Sutra AuthorUgradityacharya
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovind Raoji Doshi Solapur
Publication Year1940
Total Pages908
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ayurveda, L000, & L030
File Size18 MB
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