________________
( IV)
७६
७८
पंचमपरिच्छेदः द्रवद्रव्याधिकारः मंगलाचरण रसोंकी व्यक्तता कैसे हो ? जलवर्गः पृथ्वीगुणबाहुल्यभूमिका लक्षण
__व वहांका जलस्वरूप ६९ जलगुणाधिक्यभूमि एवं वहांका
__ जलस्वरूप ६९ वाताधिक्यभूमि एवं वहांका
___जलस्वरूप ६९ अग्निगुणाधिक्य भूमि एवं वहांका
जलस्वरूप ७० आकाशगुणयुक्तभूमि एवं वहांका
जलस्वरूप ७० पेयापेयपानाके लक्षण जलका स्पर्श व रूपदोष जलका गंधरस व धीर्यदोष जलका पाकदोष जलशुद्धिविधान वर्षाकालमें भूमिस्थ व आकाश
जलके गुण ७२ कायेतजलगुण सिद्धान्नपानवर्गः । यवागूके गुण मंडगुण मुद्यूषगुण मुद्गयूष सेवन करने योग्य मनुष्य ७४
दुग्धवर्ग
७४ अष्टविधदुग्ध दुग्धगुण धारोष्णदुग्धगुण, श्रुतोष्ण दुग्धगुण ७५ श्रृतशीत दुग्धगुण दहीके गुण तक्रगुण उदश्वित्के गुण खलगुण नवनीतगुण घृतगुण
७८ तैलगुण कांजीके गुण मूत्रवर्गः अष्टमूत्रगुण क्षारगुण द्रवद्रव्योंके उपसंहार अनुपानाधिकारः अनुपानविचार सर्वभोज्यपदार्थोके अनुपान कषायादिरसोंके अनुपान आम्ल आदि रसोंके अनुपान अनुपान विधानका उपसंहार भोजनके पश्चात् विधेयविधि तत्पश्चात् विधेय विधि अंत्य मंगल
षष्ठः परिच्छेदः दिनचर्याधिकारः मंगलांचरण व प्रतिज्ञा
७९
०
०
/
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org