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वातका स्थान प्रकुपितदोष सब को कोपन करता है ४२ दोषप्रकोपोपशमके प्रधान कारण ४३ वातप्रकोपका कारण पित्तप्रकोप के कारण कफप्रकोप के कारण दोषोंके भेद प्रकुपितदोषोंका लक्षण वातप्रकोपके लक्षण पित्तप्रकोपके लक्षण कफप्रकोपके लक्षण प्रकुपितदोषों के वर्णन अन्तिमकथन
चतुर्थपरिच्छेदः कालस्यक्रमबन्धनानुपर्यंतम् मंगलाचरण और प्रतिज्ञा कालवर्णन व्यवहारकाल के अवान्तरमेद मूहूर्तआदिके परिमाण ऋतुविभाग प्रतिदिनमें ऋतुविभाग दोषोंका संचयप्रकोप प्रकुपितदोषोंसे व्याधिजननक्रम वसंतऋतुमें हित ग्रीष्मर्तु वा वर्षतु में हित शिशिरऋतु हित आहार काल भोजनक्रम
५५ भोजनसमयमें अनुपान
अनुपान काल व उसका फल शालि आदि के गुणकथन कुधान्योंके गुण कथन । द्विदल धान्यगुण माष आदिके गुण अरहर आदिके गुण तिल आदिके गुण वर्जनीय धान्य शाकवर्णन प्रतिज्ञा मूलशाकगुण शालूकआदि कंदशाक गुण अरण्यालु आदि कंदशाकगुण वंशाग्र आदि अंकुर शाकगुण जीवन्तो आदि शाकगुण शार्केष्टादि शाकगुण गुह्याक्षी आदि पत्रशाकगुण बन्धूक आदि पत्रशाकोंके गुण शिग्रु आदि पुष्पशाकोंके गुण पंचलवणीगणका गुण पंचबृहतीगणका गुण पंचवल्लीगुण गृध्रादिवृक्षजफलशाकगुण पीलु आदि मूलशाकगुण आम्र आदि अम्लफलशाकगुण आम्र आदि अम्लफलशाक गुण बिस्वादिफलशाकगुण द्राक्षादि वृक्षफलशाकगुण तालादिशाकगुण उपसंहार अंत्यमंगल
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