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धान्यादिगुणागुणविचार
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भावार्थ-काशी फल, (पीला कडू) खीरा पेठा ( सकेदकदू ) तुरई लौकी, कंदूरी (कुंदर ) आदि लता से उत्पन्न ( लताफल ) फल स्वादिष्ट और शरीरको पुष्ट करनेवाले होते हैं । कफको उद्रेक करते हैं और ठण्डे हैं। पित्त और रक्तज व्याधियोंमें अत्यंत हितकर है । थोडा वातको उत्पन्न करनेवाले हैं और मल साफ करनेवाले हैं। शरीरके लिये हितकर व कामोद्दीपक है ॥ ४१ ॥ .
आम्रादि अम्लफल शाकगुण । आम्राम्रातकमातुलंगलकुचप्राचीनसत्तित्रिणी- । कोद्यदाडिमकोलचव्यवदरीकर्कदुपारावताः ॥ प्रस्तुत्यामलकप्रियालकरबंदीवेत्रजीवाम्रको- । वारुपोक्तकुशांब्रचिर्भटकपित्थादीन्यथान्यान्यापि ॥४२॥ नारंगद्वयकर्मरंगविलसत्प्रख्यातवृक्षोभ्दवा- । न्यत्यम्लानि फलानि वातशमनान्युद्रिकक्तरक्तान्यपि ॥ पित्तश्लेष्मकराणि पाकगुरुकस्निग्धानि लालाकरा
ण्यंतर्बाह्यमलातिशोधनकराण्यत्यंततीक्षणानिच ॥ ४३ ॥ भावार्थ:-आम, अम्बाडा, बिजौरा लिंबू , बडहर, पुरानी तिंतिडीक, अनार, छोटीबेर चव्य ( चाव ) बडीवेर, झडिया बेर, फालसा, आंवला, चिरोंजी, करवंदी (1) वेत, जीव आम्रक ककडी (खट्टी ) कुशाम्र कचरिया कथ, और इस प्रकार के अन्यान्य अम्ल फल, एवं, नारंगी, निंबू कमरख आदि, जगत्प्रसिद्ध वृक्षोसे उत्पन्न, अत्यंत खट्टे फल, वात को शमन करते हैं । रक्त को प्रकुपित करते हैं । पित्त कफ को पैदा करते हैं। पाक में गुरु है, स्निग्ध है लारको ( यूंक ) उत्पन्न करते हैं । भीतर बाहर के दोनों प्रकारके मल को शोधन करनेवाले हैं और तीक्ष्ण हैं ॥ ४२ ॥ ४३ ॥
बिल्वादिफलशाकगुण । बिल्वाश्मंतकशैलबिल्वकरवीगांगरुकक्षीरिणाम । जंबूतोरणतिदुकातिवकुला राजादनं चंदनम् ॥ क्षुद्रारुष्करसत्परूपकुतुलक्यादिद्रुमाणां फलान्यत्यंतं मलसंग्रहाणि शिशिराण्युक्तानि पित्ते कफे ॥ ४४ ॥
१ क्षुद्र फलवृक्ष विशेष जीवत्यां, जीवके २ आमरस, ३ यह शब्द प्रायः कोशोभे नहीं दीख पडता है । इस के स्थान में " कोशाग्र " ऐसा हो तो छोटा अाम, और " कुशाच" ऐसा हो तो च क यह अर्थ होता है । ४ गोरक्षकर्कटी।
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