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________________ सूत्रकृतांग नियुक्ति ३२५ ११९. क्रियावादी आदि चारों वादों की भिन्न द्वितीय श्रुतस्कंध भिन्न संख्या का निर्देश । प्रथम अध्ययन : पौंडरीक १२०. प्रस्तुत अध्ययन के समवसरण नाम की १४२. महद् शब्द के छह निक्षेपों का कथन । सार्थकता। १४३. अध्ययन शब्द के निक्षेप । १२१. सम्यक और मिथ्यावादों का उल्लेख तथा १४४. पौंडरीक शब्द के आठ निक्षेपों का कथन । मिथ्यावाद को छोड़कर सम्यवाद को १४५,१४६. द्रव्य तथा भाव पौंडरीक का स्वरूप और अपनाने का निर्देश । उनके भेद। तेरहवां अध्ययन : याथातथ्य १४७. पौंडरीक और कंडरीक का लक्षण । १४८-५७. देव, मनुष्य आदि में 'पौंडरीक' तथा १२२. तथ्य शब्द के निक्षेप तथा उनका स्वरूप 'कंडरीक' का उल्लेख । कथन । १५८. द्रव्य पौंडरीक कमल और भाव पौंडरीक १२३. भाव तथ्य का स्वरूप। श्रमण का कथन। १२४. याथातथ्य का स्वरूप । १५९. उपमा और उपमेय की सिद्धि । १२५. परम्परा से प्राप्त आगम की यथार्थता का १६०. मनुष्य की ही जिनोपदेश से सिद्धि/मुक्ति। निर्देश। १६१. भारीकर्मा मनुष्य की भी जिनोपदेश से १२६. आत्मोत्कर्ष के वर्जन का निर्देश । उसी भव में सिद्धि । चौदहवां अध्ययन : ग्रन्थ १६२. पुष्करिणी की दुरवगाहता। १६३. पदम के उद्धरण में आने वाली विपत्ति । १२७-२९. शिष्य के भेद-प्रभेद । १६४. पद्म-उद्धरण के उपाय । १३०,१३१. आचार्य के प्रकार । १६५. उपसंहार पद । पंद्रहवां अध्ययन : यमकीय दसरा अध्ययन : क्रिया १३२. आदान और ग्रहण शब्द के निक्षेप । द्वितीय श्रतस्कंध के द्वितीय अध्ययन का १३३. प्रस्तुत अध्ययन के नाम 'आदाणिज्ज' नाम निर्देश तथा संक्षिप्त विषय-वस्तु का शब्द की सार्थकता। उल्लेख। १३४. आदि शब्द के निक्षेप तथा द्रव्म आदि का १६७. द्रव्यक्रिया तथा भावक्रिया का स्वरूप । स्वरूप-कथन । १६८. स्थान शब्द के १५ निक्षेपों का उल्लेख । १३५,१३६. भाव आदि के भेद-प्रभेद । १६९. क्रिया द्वारा प्रावादुकों की परीक्षा । तीसरा अध्ययन : आहार-परिज्ञा सोलहवां अध्ययन : गाथा १७०. आहार शब्द के पांच निक्षेप । १३७. गाथा शब्द के निक्षेप तथा द्रव्य गाथा का १७१. द्रव्य आहार आदि का स्वरूप-कथन । स्वरूप । १७२. ओज, रोम तथा प्रक्षेप आहार का कथन । १३८. भाव गाथा का स्वरूप। १७३. अपर्याप्तक और पर्याप्तक के आहार का १३९,१४०. गाथा शब्द का निरुक्त तथा स्वरूप-कथन । कथन । १४१. सोलहवें अध्ययन की विषय-वस्तु का १७४. प्रक्षेप आहार किसके ? निर्देश। १७५. जीव की अनाहारक अवस्था का समय । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001929
Book TitleNiryukti Panchak Part 3
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages856
LanguagePrakrit, Hind
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, G000, & G001
File Size15 MB
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