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________________ ५ ३२४ नियुक्तिपंचक ५५. स्त्री शब्द के निक्षेप । मन, वचन आदि की क्रिया वीर्य द्वारा पुरुष शब्द के निक्षेप । संभव । स्त्रियों द्वारा छलित अभय, प्रद्योत तथा आध्यात्मिक वीर्य के प्रकार | कूलबाल मुनि के उदाहरण का संकेत । ९७. वीर्य के तीन भेद । स्त्रियों पर विश्वास नहीं करने का । ९८. शस्त्र के प्रकार । निर्देश । नौवां अध्ययन : धर्म नारी के वशीभूत होने के दुष्परिणाम । धर्म के विषय में पूर्व कथन का उल्लेख । ६०. वीर पुरुष की पहचान । १००. धर्म शब्द के निक्षेप तथा द्रव्य धर्म के पुरुषों के प्रति आसक्ति से भी उक्त दोषों भेद। की संभावना का निर्देश। . १०१. भावधर्म के लौकिक और लोकोत्तर भेदपांचवां अध्ययन : नरकविभक्ति प्रभेदों का उल्लेख । धर्म के अनधिकारी व्यक्ति की पहचान । १०२. नरक शब्द के छह निक्षेप । ६२. भाव नरक का स्वरूप तथा तप-चारित्र में दसवां अध्ययन : समाधि उद्यम करने का निर्देश । १०३. दसवें अध्ययन का आदान-पद से आप ६४. विभक्ति शब्द के छह निक्षेपों का वर्णन । तथा गौण रूप से समाधि नाम का उल्लेख । ६५. नारकीय वेदना का वर्णन । १०४. समाधि शब्द के छह निक्षेपों का उल्लेख । ६६,६७. परमाधामिक देवों का नामोल्लेख । १०५. द्रव्य समाधि, क्षेत्र समाधि और काल ६८-८२. अंब आदि परमाधार्मिक देवों द्वारा दी समाधि का स्वरूप। जाने वाली विविध वेदनाओं का वर्णन ।। भाव समाधि के चार प्रकार । छठा अध्ययन : महावीर-स्तुति ग्यारहवां अध्ययन : मार्ग महद् और बीर शब्द के निक्षेपों का १०७. मार्ग शब्द के छह निक्षेपों का उल्लेख। .. कथन । १०८. द्रव्य मार्ग के भेदों का नामोल्लेख। ८४. स्तुति शब्द के निक्षेप तथा द्रव्य और भाव १०९ क्षेत्र मार्ग आदि का स्वरूप-कथन तथा स्तुति का स्वरूप-वर्णन । भावमार्ग के भेद-प्रभेदों का निर्देश । ८५. महावीर-स्तुति अध्ययन का सार-यतना। १११. तीन सौ प्रेसठ प्रवादियों का उल्लेख । सातवां अध्ययन : कुशील-परिभाषित ११२. सम्यक् तथा मिथ्यामार्ग का स्वरूप८६,८७. शील शब्द के चार निक्षेप तथा उसके भेद निरूपण । प्रभेदों का स्वरूप-कथन । ११३. कुमा के उपदेष्टा के लक्षण । कुशील-परिभाषित अध्ययन की अन्वर्थता । ८८. ११४. सुमार्ग के उपदेष्टा के लक्षण । मोक्ष मार्ग शब्द के एकार्थक । ११५. शीलवादी कौन? ८९६१. हिंसा करने वाला अनगार कैसे? बारहवां अध्ययन : समवसरण ९०. विभिन्न परिव्राजकों का कथन । ११६. समवसरण शब्द के छह निक्षेपों का उल्लेख । आठवां अध्ययन : वीर्य ११७. भाव समवसरण के भेद ।। ९१-९४. वीर्य शब्द के षट निक्षेप तथा उसके भेद- ११ क्रियावादी, अक्रियावादी, वैनयिक तथा प्रभेदों का वर्णन । अज्ञानवादी का उल्लेख । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001929
Book TitleNiryukti Panchak Part 3
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages856
LanguagePrakrit, Hind
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, G000, & G001
File Size15 MB
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