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________________ ३२६ १७६,१७७. केवली समुद्घात में अनाहारक अवस्था का वर्णन | तेजस और कार्मण शरीर द्वारा आहारग्रहण | परिज्ञा शब्द के चार निक्षेप तथा उनके भेद-प्रभेद । १७८. १७९. चौथा अध्ययन : प्रत्याख्यान किया १८०. १०१. १८३. प्रत्याख्यान उल्लेख | प्रत्याख्यान और अप्रत्याख्यान क्रिया का स्वरूप । शब्द के छह निक्षेपों का पाचवा अध्ययन : अनगार श्रुत १८२. आचार और बुत शब्द के निक्षेपों का उल्लेख । अनाचार वर्जन का निर्देश । Jain Education International १८४. छठा अध्ययन आर्द्राय १८५. आर्द्र शब्द के चार निक्षेप । १०६,१५७. द्रव्य आई एवं भाव आर्द्र के भेद-प्रभेदों का उल्लेख | १८८-२००. आईक कुमार की कथा का वर्णन । राग के बंधन को तोड़ना जटिल । २०१. सातवां अध्ययन : नालंदीय 'अलं' शब्द के चार निक्षेप । अलं शब्द के चार भिन्न-भिन्न अर्थों का निर्देश | नालंदा की स्थिति का वर्णन प्रस्तुत अध्ययन 'नालंदीय' के नाम की सार्थकता का उल्लेख । प्रस्तुत अध्ययन की रचना का इतिहास । २०२. २०३. २०४. २०५ निर्बुक्तिपंचक प्रस्तुत अध्ययन ( आचारत) का अपर नाम अनगारत का उल्लेख २०६. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001929
Book TitleNiryukti Panchak Part 3
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages856
LanguagePrakrit, Hind
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, G000, & G001
File Size15 MB
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