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निर्मुक्तिपंचक
२४४. वे अठारह स्थान ये हैं-छह व्रत, छह काय, असल्य, गृहस्थ भाजन, पलंग, निषद्या, स्नान और शोभा का वर्जन ।
सातवां अध्ययन वाक्यशुद्धि
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२४५. 'वाक्य' शब्द के चार निक्षेप हैं- नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव । भाषक के द्वारा गृहीत भाषा के योग्य पुद्गल 'द्रव्य वाक्य' हैं तथा शब्द रूप में परिणत भाषा के शब्द 'भाव वाक्य' हैं ।
२४६. 'वाक्य' के ये एकार्थक हैं—-वाक्य, वचन, गिरा, सरस्वती, भारती, गौ, वाक्, भाषा, प्रज्ञापनी, देशनी, वाक्योग तथा योग ।
२४७ द्रव्यभाषा के तीन प्रकार हैं ग्रहणद्रव्यभाषा', निसर्गद्रव्यभाषा तथा पराधातद्रव्यभाषा' भावभाषा के तीन प्रकार है- द्रव्यभावभाषा श्रुतभावभाषा और चारित्रभावभाषा । इसे ही सामान्यतः आराधनी कहा जाता है ।
२४८. द्रव्यविषयक सत्य भाषा आराधनी भी होती है और विराधनी भी होती है। मृषा भाषा विराधनी है। सत्यमृषा भाषा ( मिश्र भाषा) आराधनी और विराधनी - दोनों हैं। असत्यामृषा अर्थात व्यवहार भाषा न आराधनी है और न विराधनी ।
२४९. सत्य भाषा के दस प्रकार हैं
१. जनपद सत्य
२. सम्मत सत्य
३. स्थापना सत्य
४. नाम सत्य
५. रूप सत्य
२५०. मृषा भाषा के दस भेद हैं
१. क्रोधनिसूत
२. माननिसृत
३. मायानसूत
४. लोभनिसूत
५. रागनिसूत
२५१. सत्यमृषा (मिश्र) भाषा के दस भेद हैं
१. उत्पन्नमिश्रित
२. विगत मिश्रित
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३. उत्पन्न विगत मिश्रित
४. जीव मिश्रित
५. अजीव मिश्रित
१. काययोग के द्वारा भाषा द्रव्यों का ग्रहण २. वाक्योग के द्वारा भाषा द्रव्यों का उत्सर्ग
६. प्रतीत्य सत्य
७. व्यवहार सत्य
८. भाव सत्य
९. योग सत्य
१०. औपम्य सत्य ।
६. द्वेषनिसृत
७. हास्यनिसृत
८. भयनिसृत
९. आख्यायिकानित
१०. उपघातनिसृत
६ जीव अजीव मिश्रित
७. अनन्त मिश्रित
८. प्रत्येक मिश्रित
९. अध्वा मिश्रित
१०. अध्वा अध्वा मिश्रित ।
३. निसृष्ट भाषा के द्रव्यों से अन्य द्रव्यों का तथाविध परिणाम आपादित करना ।
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