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आवश्यक नियुक्ति
२२३
गोत्र
६५ वर्ष
गौतम
९२ वर्ष
C
-
3
सुधर्मा
८३ वर्ष
गणधर
गृहस्थकाल छद्मस्थकाल ७. मौर्यपुत्र काश्यप
१४ वर्ष अकम्पित
४८ वर्ष
९ वर्ष अचलभ्राता
हारीत ४६ वर्ष
१२ वर्ष १०. मेतार्य कौण्डिन्य ३६ वर्ष
१० वर्ष ११. प्रभास कौण्डिन्य १६ वर्ष
८ वर्ष ४२५. गणधरों के संपूर्ण आयुष्यकाल से छद्मस्थपर्याय और गृहस्थपर्याय को निकाल देने पर जो शेष बचे, वह उनकी जिनपर्याय अर्थात् वीतरागपर्याय थी। ४२६-२८. गणधरों की जिन-पर्याय और आयुष्य-परिमाण इस प्रकार हैगणधर
जिन-पर्याय
आयुष्य-परिमाण इन्द्रभूति
१२ वर्ष अग्निभूति १६ वर्ष
७४ वर्ष वायुभूति
१८ वर्ष
७० वर्ष व्यक्त
१८ वर्ष
८० वर्ष ८ वर्ष
१०० वर्ष मंडित
१६ वर्ष मौर्यपुत्र
९५ वर्ष अकम्पित
२१ वर्ष
७८ वर्ष अचलभ्राता
७२ वर्ष १०. मेतार्य
१६ वर्ष
६२ वर्ष ११. प्रभास
४० वर्ष ४२९. सभी गणधर जाति से ब्राह्मण और अध्यापक अर्थात् उपाध्याय थे। सभी विद्वान् थे-यह उनके गृहस्थजीवन का पांडित्य था। श्रमण बनने के बाद सभी द्वादशांगविद् चतुर्दशपूर्वी थे। ४३०. भगवान् महावीर की जीवित अवस्था में नौ गणधर परिनिर्वृत हो गए। भगवान् के निर्वाण के पश्चात् इन्द्रभूति और सुधर्मा राजगृह में परिनिर्वृत हुए। ४३१. सभी गणधर एक मास के प्रायोपगमन अनशन में परिनिर्वृत हुए तथा वे सभी सर्वलब्धिसंपन्न, वज्रऋषभनाराच संहनन से युक्त तथा समचतुरस्र संस्थान वाले थे। ४३२. काल शब्द के ग्यारह निक्षेप हैं१. नामकाल
५. यथायुष्ककाल ९. प्रमाणकाल २. स्थापनाकाल ६. उपक्रमकाल
१०. वर्णकाल ३. द्रव्यकाल ७. देशकाल
११. भावकाल ४. अद्धाकाल
८. कालकाल
,
१६ वर्ष
१४ वर्ष
१६ वर्ष
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