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________________ ६२ २०३/६. पुस्से पुणव्वसू पुण, नंद सुनंदे जए य विजए य । तत्तो य धम्मसीहे, सुमित्त तह वग्घसीहे यरे ॥ वीसइमे होति बंभदत्ते य। धणे बहुले य' बोधव्वे ॥ अपराजिय विस्ससेणे, दिण्णे वरदिण्णे पुण, २०३/८. एते कयंजलिउडा, २०३/७. Jain Education International तक्कालपहट्ठमणा', ११० २०३/९. सव्वेहिं पि जिणेहिं जहियं लद्वाउ पढमभिक्खाओ । तहियं वसुहाराओ, 'वुट्ठाओ पुप्फवुट्ठीओ ॥ २०३/१०. अद्धत्तेरसकोडी, उक्कोसा तत्थ होति वसुहारा । अद्धत्तेरस लक्खा, जहन्निया होति वसुहारा ॥ २०३/११. सव्वेसि पि जिणाणं, जेहिं‍ दिण्णाउ पढमभिक्खाओ। पतणुपिज्जदोसा, दिव्ववरपरक्कमा जाया ॥ २०३/१२. केई१२ तेणेव भवेण, निव्वुया सव्वकम्मउम्मुक्का । अन्ने१३ तइयभवेणं, सिज्झिस्संती १४ जिणसगासे ॥ २०४. कल्लं सव्विड्डीए, पूएमऽ हदट्टु २५ विहरति सहस्समेगं, छउमत्थो १. पूसे (ला, ब ) । २. वग्ग' (म) । ३. समप्र (२२९/२) में इसका उत्तरार्ध इस प्रकार है पउमेय सोमदेवे, वीसतिमे होइ उसभसेणे य । ४. वीस' (म) । ५. x ( अ ) । ६. तु. समप्र २२९ / ३ । ७. सुद्धलेस्सागा (ला, रा), सिद्धले (अ)। ८. तं काल' (ला) । भत्ती - बहुमाण- सुक्कलेसागा' । पडिला सुं जिणवरिंदे ॥ २०४/१. बहली" अडंब - इल्ला - जोणगविसओ आहिंडिता भगवता, उसण ९. समप्र (२२९/४) में यह गाथा कुछ अंतर के साथ इस प्रकार मिलती है एते विसुद्धलेसा, जिणवरभत्तीए पंजलिउडा य । तं कालं तं समयं पडिलाई जिणवरिंदे ॥ धम्मचक्कं तु । भारहे वासे १६ ॥ सुवण्णभूमी य । चरंतेणं १८ ॥ तवं For Private & Personal Use Only आवश्यक नियुक्ति १०. सरीरमेत्तीओ वुट्ठाओ (समप्र २३० / ३ ) । ११. जेहि उ ( म, रा, ला) । १२. केति (ला, ब) । १३. केई (ब, स, म) । १४. स्संति (हा, दी, रा) । १५. पूएहमद (दी, रा ) । १६. स्वो २६१/१७००, चूर्णि में इसकी संक्षिप्त व्याख्या मिलती है, किन्तु गाथा का प्रतीक नहीं है। १७. बहुली (रा) । १८. स्वो २६२ / १७०१, २०४/१, २ चूर्णि में इन दोनों गाथाओं का कोई उल्लेख नहीं है। भाष्य तथा टीकाओं में ये निगा के क्रम में व्याख्यात हैं। ये गाथाएं अतिरिक्त एवं व्याख्यात्मक सी लगती हैं। इन दोनों को निगा के क्रम में न मानने से भी चालू विषयक्रम में कोई अंतर नहीं आता । www.jainelibrary.org
SR No.001927
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages592
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_aavashyak
File Size11 MB
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