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________________ २६ [ २६ ] दर्शनमोहनीय के भेद व उनके लक्षण आयु, वेदनीय और गोत्र कर्म की उत्तर प्रकृतियां व उनके लक्षण गाथा ६ नामकर्म की पिण्ड प्रकृतियों के नाम गतिनाम कर्म के भेद व उनके लक्षण जातिनामकर्म के भेद व उनके लक्षण शरीरनामकर्म के भेद व उनके लक्षण अंगोपांगनामकर्म के भेद व उनके लक्षण बंधननामकर्म का लक्षण संघातननामकर्म का लक्षण संहनननामकर्म के भेद व उनके लक्षण संस्थाननामकर्म के भेद व उनके लक्षण वर्णचतुष्क के भेद व उनके लक्षण आनुपूर्वीनामकर्म के भेद व उनके लक्षण विहायोगतिनामकर्म के भेद व उनके लक्षण तथा विहायस् शब्द को उपयोगिता गाथा ७ आठ अप्रतिपक्ष प्रत्येक प्रकृतियों के नाम व उनके लक्षण उच्छवास नामकर्म को मानने में हेतु गाथा ८ सप्रतिपक्ष बीस प्रत्येक प्रकृतियों के नाम त्रसदशक और स्थावरदशक में गभित प्रकृतियों के नाम प्रतिपक्ष सहित बीस प्रकृतियों के लक्षण ४०-४३ ४० ४३-५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001900
Book TitlePanchsangraha Part 03
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages236
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size12 MB
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