________________
विषयानुक्रमणिका
१०
गाथा १
३-१० मूल कर्मप्रकृतियों के नाम मूल कर्मप्रकृतियों के लक्षण
ज्ञानावरणादि का क्रमविन्यास गाथा २
१०-११ कर्मों की उत्तर प्रकृतियों की संख्या गाथा ३
११-१४ ज्ञानावरणकर्म की उत्तर प्रकृतियां एवं उनके लक्षण - अन्तरायकर्म की उत्तर प्रकृतियां एवं उनके लक्षण
उनक लक्षण
१२ गाथा ४
१४-१६ दर्शनावरणकर्म की उत्तर प्रकृतियों के चार, छह और १५ नौ भेद की विवक्षा का कारण चक्षदर्शनावरण आदि के लक्षण
निद्राओं को दर्शनावरण में ग्रहण करने का कारण गाथा ५
१६-२८ मोहनीय की उत्तर प्रकृतियों की संख्या कषायमोहनीय प्रकृतियों के नाम व लक्षण अनन्तानुबंधि आदि कषायों सम्बन्धी दृष्टान्त नोकषायों को कषायसहचारी मानने का कारण नव नोकषायों के नाम व उनके लक्षण
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org