SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्ततिका प्रकरण निर्देश करते हुए कहा है- 'बन्धोदयसंतपयडिठाणाणं वोच्छ'–बंध, उदय और सत्ता प्रकृति स्थानों का कथन किया जा रहा है। जिनके लक्षण इस प्रकार हैं-लोहपिंड के प्रत्येक कण में जैसे अग्नि प्रविष्ट हो जाती है, वैसे ही कर्म-परमाणुओं का आत्मप्रदेशों के साथ परस्पर जो एक क्षेत्रावगाही सम्बन्ध होता है, उसे बंध कहते हैं। विपाक अवस्था को प्राप्त हुए कर्म-परमाणुओं के भोग को उदय कहते हैं।' बंध-समय से या संक्रमण-समय से लेकर जब तक उन कर्म-परमाणुओं का अन्य प्रकृतिरूप से संक्रमण नहीं होता या जब तक उनकी निर्जरा नहीं होती, तब तक उनका आत्मा के साथ संबद्ध रहने को सत्ता कहते हैं । ___ स्थान शब्द समुदायवाची है, अतः प्रकृतिस्थान पद से दो, तीन, आदि प्रकृतियों के समुदाय को ग्रहण करना चाहिए। ये प्रकृतिस्थान बंध, उदय और सत्व के भेद से तीन प्रकार से हैं। जिनका इस ग्रन्थ में विवेचन किया जा रहा है । गाथा में आगत 'सुण' क्रियापद द्वारा ग्रन्थकार ने यह ध्वनित किया है कि आचार्य शिष्यों को सम्बोधित एवं सावधान करके शास्त्र का व्याख्यान करें। क्योंकि बिना सावधान किये ही अध्ययन १. तत्र बंधो नाम-कर्मपरमाणनामात्मप्रदेशः सह वन्ह्ययःपिण्डवदन्योऽन्यानुगमः । -सप्ततिका प्रकरण टीका, पृ० १४० २. कर्मपरमाणूनामेव विपाकप्राप्तानामनुभवनमुदयः । -सप्ततिका प्रकरण टीका, पृ० १४० ३. बन्धसमयात् संक्रमेणात्मलाभसमयाद्वा आरभ्य यावत् ते कर्मपरमाणवो नान्यत्र संक्रम्यन्ते यावद् वा न क्षयमुपगच्छन्ति तावत् तेषां स्वस्वरूपेण यः सद्भावः सा सत्ता। -सप्ततिका प्रकरण टीका, पृ० १४० ४. प्रकृतीनां स्थानानि-समुदायाः प्रकृतिस्थानानि हि त्र्यादिप्रकृतिसमुदाया इत्यर्थः, स्थानशब्दोऽत्र समुदायवाची।-सप्ततिका प्रकरण टीका, पृ० १४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy