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________________ ( ३७ ) m mr mr २६६ गाथा ५२ ३६१-३७० इन्द्रिय मार्गणा में नामकर्म के बंधादिस्थान ३६२ एकेन्द्रिय मार्गणा में संवेध भंगों का विचार एकेन्द्रिय मार्गणा में संवेध भंगों का दर्शक विवरण ३६३ विकलत्रयों में संवेध भंगों का विचार ३६४ विकलत्रयों में संवेध भंगों का दर्शक विवरण पंचेन्द्रियों में संवेध भंगों का विचार पंचेन्द्रियों में संवेध भंगों का दर्शक विवरण ३६८ गाथा ५३ ३७०-३७५ बंधादि स्थानों की आठ अनुयोगद्वारों में कथन करने की सूचना ३७० मार्गणाओं में ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, आयु, गोत्र और अन्तराय कर्म के बंधादि स्थानों का दर्शक विवरण ३७३ मार्गणाओं में मोहनीयकर्म के बन्ध, उदय, सत्ता स्थानों व उनके संवेध भंगों का दर्शक विवरण ३७५ मार्गणाओं के नाम कर्म के बंध, उदय, सत्ता स्थानों और उनके संवेध भंगों का दर्शक विवरण ३७५ गाथा ५४ ३७५-३७८ उदय उदीरणा में विशेषता का निर्देश गाथा ५५ ३७८-४८१ ४१ प्रकृतियों के नामों का निर्देश, जिनके उदय और उदीरणा में विशेषता है ३७८ गाथा ५६ ३८१-३८३ गुणस्थानों में प्रकृतियों के बंध के निर्देश की सूचना ३८१ मिथ्यात्व और सासादन गुणस्थान की बंधयोग्य प्रकृतियाँ और कारण ३८२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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