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सप्ततिका प्रकरण ___ सत्तास्थान ६३, ६२, ८६ और ८८ प्रकृतिक, ये चार होते हैं। इस प्रकार अप्रमत्तसंयत गुणस्थान के चार बंधस्थान, दो उदयस्थान और चार सत्तास्थान जानना चाहिये। अब इनके संवेध का विचार करते हैं
२८ प्रकृतियों का बंध करने वाले के उदयस्थान दोनों होते हैं, किन्तु सत्तास्थान एक ८८ प्रकृतिक ही होता है। २६ प्रकृतियों का बंध करने वाले के उदयस्थान दोनों ही होते हैं किन्तु सत्तास्थान एक ८६ प्रकृतिक होता है । ३० प्रकृतियों का बंध करने वाले के भी उदयस्थान दोनों ही होते हैं किन्तु सत्तास्थान दोनों के एक ६२ प्रकृतिक ही होता है तथा ३१ प्रकृतियों का बंध करने वाले के उदयस्थान दोनों होते हैं किन्तु सत्तास्थान एक ६३ प्रकृतिक ही होता है। यहाँ तीर्थंकर या आहारकद्विक इनमें से जिसके जिसकी सत्ता होती है, वह नियम से उसका बंध करता है। इसीलिये एक-एक बंधस्थान में एक-एक सत्तास्थान कहा है । यहाँ कुल सत्तास्थान ८ होते हैं। __ इस प्रकार अप्रमत्तसंयत गुणस्थान के बंध, उदय और सत्ता स्थानों के संवेध का विचार किया गया, जिसका विवरण इस प्रकार है
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बंधस्थान
। मंग
उदयस्थान
सत्तास्थान
२८
प्रकृतिक
२६ प्रकृतिक
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