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________________ २२२ जीवस्थानों में वेदनीय, आयु और गोत्रकर्म के बंधादि स्थानों के संवेध भंगों का विचार २१४ जीवस्थानों में ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, आयु, गोत्र और अन्तराय कर्मों के भंगों का दर्शक विवरण २२१ मोहनीय कर्म के भंगों का कथन करने की प्रतिज्ञा २२१ गाथा ३६ २२१-२२८ जीवस्थानों में मोहनीयकर्म के बंधादि स्थानों के संवेध भंगों का विचार जीवस्थानों में मोहनीयकर्म में संवेध भंगों का दर्शक विवरण २२७ गाथा ३७, ३८ २२८-२५४ जीवस्थानों में नामकर्म के बंधादि स्थानों के भंगों का निर्देश २२८ जीवस्थानों में बंधस्थान और उनके भंगों का दर्शक विवरण २४८ जीवस्थानों में उदयस्थान और उनके भंगों का दर्शक विवरण २५१ जीवस्थानों में नामकर्म की प्रकृतियों के बंध, उदय और सत्ता स्थानों के भंगों का दर्शक विवरण २५३ गाथा ३६ (प्रथम पंक्ति) २५४-२५५ गुणस्थानों में ज्ञानावरण और अन्तराय कर्म के बंधादिस्थानों के भंगों का विचार २५४ गाथा ३६ (द्वितीय पंक्ति), ४०, ४१ (प्रथम पंक्ति) २५५-२६० गुणस्थानों में दर्शनावरण कर्म के बंधादिस्थानों के भंगों का विचार गाथा ४१ (द्वितीय पंक्ति) __२६०-२६६ गुणस्थानों में वेदनीयकर्म के बंधादिस्थानों के भंगों का विचार गुणस्थानों में गोत्रकर्म के बंधादिस्थानों के भंगों का विचार २६२ २५७ २६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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