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________________ गुणस्थानों में आयुकर्म के बंधादिस्थानों के भंगों का विचार २६५ गुणस्थानों में मोहनीय और नामकर्म के सिवाय शेष कर्मों के बंधादि स्थानों के भंगों का दर्शक विवरण ___२६८ गाथा ४२ २६६-२७१ गुणस्थानों में मोहनीयकर्म के बंधस्थानों का विचार २७० गाथा ४३, ४४, ४५ २७२-२७६ गुणस्थानों में मोहनीयकर्म के उदयस्थानों का विचार २७३ गाथा ४६ २७६-२८३ गुणस्थानों की अपेक्षा उदयस्थानों के भंग २७६ गुणस्थानों की अपेक्षा उदयविकल्पों और पदवृन्दों का दर्शक विवरण २८२ गाथा ४७ २८३-३०३ योग, उपयोग और लेश्याओं में संवेध भंगों की सूचना २८४ योग की अपेक्षा गुणस्थानों में उदयविकल्पों का विचार २८८ योग की अपेक्षा उदयविकल्पों का दर्शक विवरण २८६ योग की अपेक्षा गुणस्थानों में पदवृन्दों का विचार २६० योग की अपेक्षा पदवृन्दों का दर्शक विवरण २६४ उपयोगों की अपेक्षा गुणस्थानों में उदयस्थानों का विचार २९५ उपयोगों की अपेक्षा उदयविकल्पों का दर्शक विवरण २६६ उपयोगों की अपेक्षा पदवृन्दों का विचार उपयोगों की अपेक्षा पदवृन्दों का दर्शक विवरण २६९ लेश्याओं की अपेक्षा गुणस्थानों में उदयस्थानों का विचार २६६ लेश्याओं की अपेक्षा उदयविकल्पों का दर्शक विवरण ३०० लेश्याओं की अपेक्षा पदवृन्दों का विचार लेश्याओं की अपेक्षा पदवृन्दों का दर्शक विवरण ३०२ २६७ ३०१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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