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________________ गाथा २५ नामकर्म के प्रत्येक बंधस्थान के भंग नामकर्म के बन्धस्थानों के भंगों का दर्शक विवरण गाथा २७, २८ ( ३२ ) गाथा २६ नामकर्म के उदयस्थान नामकर्म के उदयस्थानों के स्वामी और उनके भंगों का निर्देश नामकर्म के उदयस्थानों के भंग उदयस्थानों के भंगों का दर्शक विवरण गाथा २६ १५६-१५८ १५६ १५६ १५८ - १७६ १६० नामकर्म के सत्तास्थान नामकर्म के सत्तास्थान और गो० कर्मकाण्ड का अभिमत १६३ १७६-१८४ १८० १८३ १४-१८७ १८४ १८६ गाथा ३० १८७-१८८ नामकर्म के बन्ध आदि स्थानों के संवेध कथन की प्रतिज्ञा १८८ गाथा ३१, ३२ १८८ - २०६ ओघ से नामकर्म के संवेध का विचार १६० नामकर्म के बंधादि स्थान व उनके भंगों का दर्शक विवरण २०५ गाथा ३३ २०६-२१० जीवस्थानों और गुणस्थानों में उत्तरप्रकृतियों के बंधादि स्थानों के भंगों का विचार प्रारम्भ करने की प्रतिज्ञा २१० गाथा ३४ २१०-२१३ Jain Education International जीवस्थान में ज्ञानावरण और अन्तरायकर्म के बंधादि स्थानों के संवेध भंगों का विचार For Private & Personal Use Only गाथा ३५ जीवस्थानों में दर्शनावरण कर्म के बंधादि स्थानों के संवेध भंगों का विचार २११ २१३-२२१ २१३ www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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