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सप्ततिका प्रकरण
उदयस्थान में मिथ्यात्व को मिलाने पर दस प्रकृतिक उदयस्थान होता है । यह उदयस्थान मिथ्यादृष्टि गुणस्थान में होता है । "
मोहनीय कर्म के उक्त नौ उदयस्थान सामान्य से बतलाये हैं । क्योंकि तीसरे मिश्र गुणस्थान में मिश्र मोहनीय का और चौथे से सातवें गुणस्थान तक वेदक सम्यग्दृष्टि के सम्यक्त्व मोहनीय का उदय हो जाता है । इसलिये सभी विकल्पों को न बतलाकर यहाँ तो सूचना मात्र की है । विशेष विस्तार से वर्णन आगे किया जा रहा है । प्रत्येक उदयस्थान का जघन्यकाल एक समय और
1
उत्कृष्टकाल
अन्तर्मुहूर्त है ।
मोहनीय कर्म के उदयस्थानों का विवरण इस प्रकार है
काल
गुणस्थान
७२
उदयस्थान
१ प्र०
२
४,
५ "
६
७
IS
८
11
"
"
77
"
& 11
१० "
नौवें का अवेद भाग व दसवां
नौवें का सवेद भाग
६, ७, ८
६, ७, ८
६, ७, ८
पांचवां
४, ३
१
जघन्य
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एक समय
"
13
""
13
13
"
"
19
उत्कृष्ट
अन्तर्मुहूर्त
3)
11
27
73
17
"
27
"
१ मोहनीय कर्म के नौ उदयस्थानों की संग्रहणीय गाथायें इस प्रकार हैं
(क) एगयर संपरायं वैयजुयं दोण्णि जुयलजुय चउरो ।
पच्चक्खाणेगयरे
छूटे
पंचेव
पयडीओ ॥
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