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________________ पंचम कर्मग्रन्थ ४३१ देकर बहुभाग अनन्तानुबन्धी माया को देना चाहिये । इसी प्रकार जो जो भाग शेष रहता जाये उसको प्रतिभाग का भाग दे देकर बहुभाग अनंतानुबंधी क्रोध को, अनंतानुबंधी मान को, संज्वलन लोभ को, संज्वलन माया को, संज्वलन क्रोध को, संज्वलन मान को, प्रत्याख्यानावरण लोभ को, प्रत्याख्यानावरण माया को, प्रत्याख्यानावरण क्रोध को, प्रत्याख्यानावरण मान को, अप्रत्याख्यानावरण लोभ को, अप्रत्याख्यानावरण माया को अप्रत्याख्यानावरण क्रोध को देना चाहिए और शेष एक भाग अप्रत्याख्यानावरण मान को देना चाहिए | अपने-अपने एक एक भाग में पीछे के अपने-अपने बहुभाग को मिलाने से अपना-अपना सर्वघाती द्रव्य होता है । 3 देशघाती द्रव्य को आवली के असंख्यातवें भाग का भाग देकर एक भाग को अलग रखकर बहुभाग का आधा नोकषाय को और बहुभाग का आधा और शेष एक भाग संज्वलन कषाय को देना चाहिये । संज्वलन कषाय के देशघाती द्रव्य में प्रतिभाग का भाग देकर एक भाग को जुदा रखकर शेष बहुभाग के चार समान भाग करके चारों क्रोधादि कषायों को एक-एक भाग देना चाहिये । शेष एक भाग में प्रतिभाग का भाग देकर संज्वलन लोभ को देना चाहिये । शेष एक भाग में प्रतिभाग का भाग देकर बहुभाग संज्वलन माया को देना चाहिये । शेष एक भाग में प्रतिभाग का भाग देकर बहुभाग संज्वलन क्रोध को देना चाहिये और शेष एक भाग संज्वलन मान को देना चाहिये । पूर्व के अपने-अपने एक भाग में पीछे का बहुभाग मिलाने से अपना अपना देशघाती द्रव्य होता है । चारों संज्वलन कषायों को अपना-अपना सर्वघाती और देशघाती द्रव्य मिलाने से अपना-अपना सर्वद्रव्य होता है । मिथ्यात्व और बारह कषाय का सब द्रव्य सर्वघाती ही है और नोकषाय का सब द्रव्य देशघाती ही । नोकषाय का विभाग इस प्रकार होता है-नोकषाय के द्रव्य को प्रतिभाग का भाग देकर एक भाग को जुदा रख, बहुभाग के पाँच समान भाग करके पांचों प्रकृतियों को एक-एक भाग देना चाहिये । शेष एक भाग को प्रतिभाग का भाग देकर बहुभाग तीन वेदों में से जिस वेद का बंध हो, उसे देना चाहिये । शेष एक भाग को प्रतिभाग का भाग देकर बहुभाग रति और अरति में से जिसका बंध हो, उसे देना चाहिये । शेष एक www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.001896
Book TitleKarmagrantha Part 5 Shatak
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1986
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
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