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________________ चौथा कर्मग्रन्थ में आत्मा के विशिष्ट क्षयोपशम मात्र की अपेक्षा है, इन्द्रिय-मन की नहीं । (५) ‘केवलज्ञान', उस ज्ञान को कहते हैं, जिससे त्रैकालिक सब वस्तुएँ, जानी जाती हैं और जो परिपूर्ण, स्थायी तथा स्वतन्त्र है । (६) विपरीत मति उपयोग, 'मति - अज्ञान' है; जैसे— घट आदि को एकान्त सद्रूप मानना अर्थात् यह मानना कि वह किसी अपेक्षा से असद्रूप नहीं है । (७) विपरीत श्रुत- उपयोग 'श्रुत - अज्ञान' है; जैसे— 'हरि' आदि किसी शब्द को सुनकर यह निश्चय करना कि इसका अर्थ 'सिंह' है, दूसरा अर्थ हो ही नहीं सकता, इत्यादि। (८) विपरीत अवधिउपयोग ही 'विभङ्गज्ञान' है। कहा जाता है कि शिवराजर्षि को ऐसा ज्ञान था; क्योंकि उन्होंने सात द्वीप तथा सात समुद्र देखकर उतने में ही सब द्वीप - समुद्र का निश्चय किया था। ४० जिस समय मिथ्यात्व का उदय हो आता है, उस समय जीव कदाग्रही बन जाता है, जिससे वह किसी विषय का यथार्थ स्वरूप जानने नहीं पाता; उस समय उसका उपयोग — चाहे वह मतिरूप हो, श्रुतरूप हो या अवधिरूप हो – अज्ञान (श्रयथार्थ - ज्ञान) रूप में बदल जाता है। मनः पर्याय और केवलज्ञान, ये दो उपयोग, मिथ्यात्वी को होते ही नहीं; इससे वे ज्ञानरूप ही हैं। ये आठ उपयोग, साकार इसलिये कहे जाते हैं कि इनके द्वारा वस्तु के सामान्य-विशेष, उभय रूप में से विशेष रूप (विशेष आकार) मुख्यतया जाना जाता है ।। ११॥ (८) संयममार्गणा के भेदों का स्वरूप सामाइछेयअपरिहा - रसुहुमअहंखायदेसजयअजया । चक्खुअचक्खू ओही केवलदंसण सामायिकच्छेदपरिहारसूक्ष्मयथाख्यातदेशयतायतानि । चक्षुरचक्षुरवधिकेवलदर्शनान्यनाकाराणि । । १२ ।। अर्थ - सामायिक, छेदोपस्थापनीय, परिहारविशुद्ध, सूक्ष्मसम्पराय, यथाख्यात, देशविरति और अविरति, ये सात भेद संयममार्गणा के हैं। चक्षुर्दर्शन, अचक्षुर्दर्शन, अवधिदर्शन और केवलदर्शन, ये चार उपयोग अनाकार हैं ।। १२ । भावार्थ - (१) जिस संयम में समभाव की (राग-द्वेष के अभाव की ) प्राप्ति हो, वह 'सामायिकसंयम' है। इसके (क) 'इत्वर' और (ख) 'यावत्कथित', ये दो भेद हैं। Jain Education International अणागारा । । १२।। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001895
Book TitleKarmagrantha Part 4 Shadshitik
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2009
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size13 MB
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