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सुन्दर अक्षर-सज्जा तथा सत्वर मुद्रण के लिए क्रमश: श्री विमलचन्द्र मिश्र एवं वर्द्धमान मुद्रणालय बधाई के पात्र हैं। आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि लगभग अप्राप्य हो गयी यह महत्त्वपूर्ण पुस्तक निश्चय ही विद्वत्वर्ग एवं सामान्य स्वाध्यायियों हेतु परम उपयोगी सिद्ध होगी।
दिनांक १६.०६.०८
डॉ. सागरमल जैन
सचिव
पार्श्वनाथ विद्यापीठ
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