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गाथाङ्क ५४,५६
५४ १२,२१,४२
प्राकृत छवीस छहिअचत्त छेअ (५८-१२)
संस्कृत हिन्दी षड्विंशति
छब्बीस। षधिकचत्वारिंसत् छयालीस। छेद।
'छेदोपस्थानीय' नामक संयम विशेष।
यत
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छठा गुणस्थान। 'जलकाय' नामक स्थावर जीव-विशेष। 'अग्निकाय' नामक स्थावर जीव-विशेष। सबसे छोटा।
परिशिष्ट
४८ १०,३८
१०
७१ ७२,७६
८४ ३५,७० १,२,४५
३० ८६ १,५३
६६
जीव
जय जल(५२-१५) जल उलण (५२-१६) ज्वलन जहन्न
जघन्य जा
यावत् जबतका जायइ
जायते जिअ (य) जिआय)ठाण(३-१) जीवस्थान जिअलक्खण जीवलक्षण
ज्येष्ठ जिण
जिन जियत्त(२००-१४) जीवत्व
होता है। जीव। 'जीवस्थान'। जीव का लक्षण।
बड़ा। राग-द्वेष को जीतनेवाला। 'जीवत्व' नामक पारिमाणिक भाव-विशेष।
जिट्ठ
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